Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Suryodaysuri, Dharmsagar
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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किरणावली
शुद्धम्
पृष्ठम् पङक्तिः
शुद्धि
पृष्ठम् पक्तिः ७५ १२
पत्रकम्
॥२॥
अशुद्धम् पोतानाधिक तित्थयराणां निवर्तित आलोचित्त कुलेषु
पोतनाधि० तित्थयराणं “निर्वर्तितः आलोचित
अशुद्धम् यौव कोमला वालुअ० रमणीये पंडुतरं यः। वयणमिरि पुन च्ययमानां
शुद्धम् यत्रैव सौधर्मे कल्पे
कोमल वालुआ अतिरमणीये पंडुरतरं यः तं। वयणसिरि पुनः च्यमानां
['त
आज्ञप्तिम्
आज्ञाप्तिम् (एजं आढत्ते मध्यमागेन (जणेव
आदत्ते मध्यभागे (जेणेव
CORRECORRECORE
यत्र
यौव
तिलसाए त्रिशाला
तिसलाए त्रिशला हिं विग्गहेहिं) ।
संतंअं० (सोभगुण. शब्दाविशेष (दुमणं उद्वावत
संतअ० (सोभागुण शब्दविशेषं (दुम्मणं उद्धावत
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