Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Suryodaysuri, Dharmsagar
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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किरणावली
पृष्ठम् पङ्क्तिः
पृष्ठिम् पङ्क्तः
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पत्रकम्
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१३५
१३६
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अशुद्धम् अहण पविविसित्ता) तथातं । महार्धानि नरिंदे प्रेक्षणीयम्काण्डपट्टीम् मध्येन मिलिता क्षत्रिय यंतरं उवित्ता प्रायाग्रह्णत: ययासी) उपहारो
शुद्धम् अट्टण पविसित्ता) तथा । महार्यानि नरिदे प्रेक्षणी यामकाण्डपटीम् मध्येन यत्रैव मिलित्ता क्षत्रियः यंतरिय ठावित्ता प्रायग्रहणतः वयासी) अपहारो
अशुद्धम् शुद्धम् बहुशः बहुशः
महंत
व्हं महासु कुलदि० कुलवृत्तिकरः कुलदि० विविधनकरतः विवर्धनकरः तं पुन्नपचि० पुन्नपंचि० वार्षिक वार्षिक त्यान (सक्वारि० त्या (सक्कारिक सज्जेई) सज्जेइ) गइए
गईए घति०
दशिता न्मूलादुन्मू० न्मू० शातन
शाटनपातन० मनघां
मनधी
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