Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Suryodaysuri, Dharmsagar
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
किरणावली
पृष्ठम् पङ्क्तिः
शुद्धम्
पृष्ठम् पङ्क्तिः २२४ १२
शुद्धि पत्रकम
क्वेन
ABHISHASTR
२४५७
२२५ २२६
१४ १०
त:-बासयतः । वीरवरस्स निसिज्जाए लोके
२२९१
अशुद्धम् शुद्धम् सरा
सरो तारिहिसि । त्तरेहिसि । कोशिक' कौशिक नाद्यपसर्ग नाद्युपसर्ग इति । इति शशाप । कोलाक० काला० काडन् क्तोगाय क्तोपायः ध्याच० दति प्यच० दती विघाय বিঘা तदा पारणकं पारणके तदा হিজাগি शिष्यीणि हासे पिज्जे . हासे वा पिज्जे माकणकप्पे माणकप्पे गुणवोगेन गुण योगेन
ठिअंमि
अशुद्धम् वत्वेन तः। वीरवस्त निसिञ्जाए लोकानां ठिअंभि ब्रह्मा वा नघनः ऽप्येष मः |-गत- अद्वतऽस्नि '
२४७ २ २४८ ११ २४९ २५२ २५३११/१२ २५५ २५६
क्रीडन्
ब्रह्य वा नधनः ऽप्येष मा ।-गर्भअद्वैत० ऽस्ति ' स्वामिनिश्रया पश्चाद्
२३८
स्वामि
ITISHARE
२६१ ९ २६२६
निश्चया पश्वाद्
Jain Educatio
n
al
For Privale & Personal use only
nelibrary.org

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 458