Book Title: Kalpasutra Kalpalati Tika
Author(s): Bhadrabahuswami, Samaysundar Gani,
Publisher: Jinduttasuri Gyanbhandar

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कल्पसूत्रे संवत् १७५२ वर्षे श्रीमदराजनगरे पौषमासे कृष्णपक्षे पंचम्यां तिथौ सोमवासरे लिपिकृता प्रतिरिय स्ववाचनाय, निवेदन इति, शुभं भवतु ॥ सम्बत् १७६५ वर्षे भाद्रपदवदि रविदिने शोधितेयं पं० गुणविलासेन ॥ कल्याणमस्तु ॥ श्रीः॥ टीकारो पुस्तक छ पं । प्र० । श्रीजैतसीजीदीनो सं० १८३२ रा प्रथम जेठ शुद २॥ L (२) द्वितीयमत्रैव (मुम्बापुर्या) श्री अनन्तनाथजी-जैन-देरासरस्थज्ञानकोशात् शा० पदमसी हीरजी जे. पी. इत्यनेन महाशयेन Pानीय प्रदत्तम् , एतावत् (१८०) पत्रात्मकं शुद्धप्रार्य, तत्समाप्तिलेखश्चेत्यं लभ्यते सम्बत् १७३५ वर्षे कार्तिकमासे शुक्लपक्षे द्वितीयातिथौ सोमवासरे श्रीनवलखी-माममध्ये पं० दयासागरमुनिनाऽलेखि कल्याणमस्तु वाचकलेखकयोः ॥ शाह-अचलदास डागा तत्पुत्री बाइ रुखमारी प्रतिऋषिश्रीगोइन्द्रजीनु वहरावी छ। वीकानेरमध्ये ॥ श्रीः॥ (३) तृतीयमत्रैव (मुम्बय्या) धी बॉम्बे च ऑफ धी रॉयल् एसियाटिक सोसायटी लायब्रेरीतः श्रीयुत हीरालाल-अमृतलाल शाह बी०ए०-इत्यनेन श्रेष्ठिवर्येण अतिपरिश्रमेण समानीतम् नवनखा(२०९)त्मकपत्रपरिमितं शुद्धं आदर्शपुस्तकं वत्प्रान्तविभूषितोऽयं लेखो विद्यते, यथा ॥४॥ सम्बत्-अद्रि-निषि-मुनि-इन्दु-प्रमिते मासोत्तमे मासे सहसि वलक्षपक्षे त्रयोदश्यां तिथौ गुरुवासरे श्रीमजेसलमेरुदुर्गमहादुर्गे जङ्गमयुगप्रधान-भट्टारक-श्रीमजिनसागरसूरीणां पट्टप्रभाकर-भट्टारकयुग[]वर श्रीमजिनधर्मसूरिवराणां । For Private and Personal Use Only

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