Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 24
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची वसुधारा स्तोत्र, सं., गद्य, आदि: संसारद्वयदैन्यस्य अंतिः श्रृणोति भोगं च करोति. १०१०३८. (+) श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १२, प्रले. मु. तिलकविजय (गुरु पं. हेमविजय); गुपि. पं. हेमविजय (गुरु मु. नरविजय): मु. नरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. प्रतिलेखक ने अंत में अवचूरि लिखा है वस्तुतः बार्थ है., संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२४X११, ३X२३-२६). बंदिसूत्र, संबद्ध प्रा., पद्य, आदि: वंदितु सव्वसिद्धे धम्मा; अंतिः वंदामि जिणे चउवीसं, गाथा-५०. वंदित्सूत्र- बार्थ, मा.गु, गद्य, आदि बांबु सर्व सिद्ध प्रति; अंतिः तीर्थंकर प्रतिं नमस्कार. १०१०३९. (+#) गौतमपृच्छा सह टबार्थ, बालावबोध व कथा, अपूर्ण, वि. १७८८, कार्तिक शुक्ल, ९, गुरुवार, मध्यम, पृ. ५०- ३ (१ से २,४५)=४७, ले.स्थल. चांचोडा, प्रले. पं. वनीतविजय (गुरु पं. दीपविजय गणि); गुपि. पं. दीपविजय गणि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित-टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., ( २४.५X१०.५, १४X३३-३६). गौतमपृच्छा, प्रा., पद्य, आदि (-); अंति: गोअमंपृच्छा महत्थावि, प्रश्न- ४८, गाथा ६४ (पू. बि. गाथा १४ अपूर्ण से है व बीच के पाठांश नहीं हैं.) गौतमपृच्छा- टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: शास्त्रें संक्षेपिं कहिउ. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गौतमपृच्छा-वालावबोध, आ. जिनसूरि, मा.गु., गद्य, आदि (-): अंति: (१) हर्षपूरेण भावतः, (२) तेह माहि जाणिवा. गौतमपृच्छा-कथा संग्रह *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: होइने मोक्ष पांमिस्यें. १०१०४६. (+) योगशास्त्र सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८८४, मध्यम, पृ. ८५, अन्य श्राव. चुनीलाल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. हुंडी: योगसासत्र., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४.५X१०.५, १५-१८x४५). योगशास्त्र-हिस्सा प्रकाश १ से ४, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: नमो दुर्वाररागादि; अंति: दंतैर्दंतानसंस्पृशन्. योगशास्त्र-हिस्सा प्रकाश १ से ४ का बालावबोध, आ. सोमसुंदरसूरि, मा.गु., गद्य, आदि (१) श्रीतपागणसरेज रविश्री, (२) प्रणम्य जिनसिद्धादीन्; अंति: छइ तिहां थकी जाणिवा, प्रकाश-४, (वि. प्रसंगोपात दृष्टांत कथा दी गई है.) १०१०५४. भक्तामर, कल्याणमंदिर स्तोत्र व पाक्षिक चैत्यवंदन, संपूर्ण, वि. १९१४-१९१५, श्रेष्ठ, पृ. १२, कुल पे. ३, प्रले. पं. मानविजय गणि पठ. श्राव. मोतीचंद, अन्य. ग. मनोहर, प्र.ले.पु. सामान्य, वे. (२३.५x१०, ९४२३-२८). १. पे. नाम. भक्तामर महास्तोत्र, पृ. १अ-६अ, संपूर्ण, वि. १९१४, श्रावण शुक्ल, २, ले.स्थल. मेगलवास. भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलिमणि; अंतिः मानतुंग० लक्ष्मीः, श्लोक-४४. २. पे. नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र, पृ. ६अ १०आ, संपूर्ण आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि सं., पद्य वि. १वी आदि कल्याणमंदिरमुदारमवद्यभेदि; अति कुमुद० " ३. पे नाम. पाक्षिक चैत्यवंदन, पृ. १० आ-१२आ, संपूर्ण, वि. १९१५, पीष शुक्ल १२, रविवार. 3 त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र-हिस्सा सकलार्हत् स्तोत्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, वि. १२वी, आदि: सकलार्हत्प्रतिष्ठानम; अंति: भावतोहं नमामि श्लोक-३२. ६० प्रपद्यंते, श्लोक-४४. १०१०५५ (+#) विमान आवलि गाथा व जीवविचारसूत्र, संपूर्ण, वि. १७०९, मार्गशीर्ष कृष्ण, २, शुक्रवार, मध्यम, पृ. १०, कुल पे. २, अन्य. मु. सिरदारमल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२३.५X१०, ४x२७-३२). १. पे नाम. विमान आवलि गाथा, पृ. १अ संपूर्ण. गाथा संग्रह जैन*, प्रा., मा.गु., सं., पद्य, आदि: वट्ठवट्ठसुउवरिं तं संत अंति: सोले गती सावली विमाणा. २. पे. नाम. जीवविचार प्रकरण सह टबार्थ, पू. १आ, , संपूर्ण . , जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा. पद्य वि. ११वी आदि भुवणपईव वीर नमिकण; अति . " संतिसूरि०सुयसमुद्दाओ, गाथा-५१. For Private and Personal Use Only जीवविचार प्रकरण- बार्थ, मा.गु., गद्य, आदि विश्व सघलाइ दीवानी परि अतिः समुद्रमांहि उपर्यु १०१०५६. (+) विचारषट्त्रिंशिका सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८०४ - १८१२, श्रेष्ठ, पृ. ८, प्रले. पं. जीवणसागर (गुरु पं. हेतुसागर); गुपि. पं. हेतुसागर (गुरु पं. राजसागर) पं. राजसागर (गुरु ग. लाभसागर) ग. लाभसागर, अन्य पं. फतेंद्र, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ- संशोधित, जैवे. (२३.५x१०.५, ४४३१).

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 ... 612