Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 21
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.२१
औपदेशिक पद-आत्मोपदेश, मा.गु., पद्य, आदि: एहवी वात सुतरनी जीव; अंति: जाहा जिनजी पास, गाथा-४. ५. पे नाम. सीमंधरजिन गुणमाला, पू. १अ १आ, संपूर्ण,
गच्छा. विजयदेवसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीमंदरसाम तणी गुण; अंति: देवसू०बोले नरने नारी, गाथा-४. ८८९७१ (+) जिनकुशलसूरि स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र. वि. संशोधित, दे., (२०x१०.५, १०X२६-२८).
जिनकुशलसूरि स्तवन, मु. विजयसिंह, मा.गु., पद्य, आदि: समरुं माता सरसती; अंति: विजैसिंघ लीला वरी, गाथा-३१. ८८९७२. पद्मावती सज्झाय व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८३७, मध्यम, पृ. ३, कुल पे ४, प्रले. मु. रूपचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे.,
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( २३X१०.५, ११३२).
१. पे नाम आदिजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. रहिदास ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीऋषभदेव जिणंदा, अति रहिदाशे गुण गाया रे, गावा- १२.
२. पे. नाम पद्मावती सज्झाय, पृ. १आ-३अ, संपूर्ण.
पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: हवि राणी पद्मावती; अंति: समयसुंदर० छुटो ततकाल, ढाल -३, गाथा-३६.
३. पे. नाम संभवजिन स्तवन, पू. ३अ- ३आ, संपूर्ण.
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उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३०, आदि: संभव जिनवर विनति; अंति: जश० ए मुज साचुं रे, गाथा-५. .पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. नेम, मा.गु., पद्य, आदि: वारु वारु रे म्हांरा अति नेम० की मानो हो राज, गाथा १०.
८८९७३. गोडीजी पार्श्वजिन व फलोधीपार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, प्रले. नथमल मथेन, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२२x१०.५, ११x२६).
१. पे. नाम. गोडीजी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद- गोडीजी, मु. देवीचंद, मा.गु., पद्य, आदि आज भलो दीन उगो प्रभुः अंति: प्रभु छो पर उपगारीजी,
गाथा - ९.
२. पे नाम. पार्श्वजिन स्तवन फलोधीमंडन, पू. १आ- २अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- फलवर्द्धि, मु. उत्तम, मा.गु., पद्य, आदि: वंछित फलदायक सामी; अंति: जय उत्तम जिनगुण गावै,
पुहिं., पद्य, आदि: ऋषभ अजित संभव, अंति: आवागमण निवार की, गाथा-६.
३. पे नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ चैत्यवंदन, पू. १अ संपूर्ण.
गाथा-७.
८८९७५. २४ जिन आरती, चैत्यंवदन व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पू. १, कुल पे. ५, दे. (२१.५४११, १८४५८). १. पे. नाम. ५ परमेष्ठि आरती, पृ. १अ, संपूर्ण.
जै.क. द्यानतराय, पुहि, पद्य, वि. १८वी, आदि: इहविधि मंगल आरती; अति मानवजन्म सफल कर लीजे, गाथा-५, २. पे. नाम. २४ जिन आरती, पृ. १अ संपूर्ण.
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मु. कल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: पूरव देशे दीपतो; अंति: तीरथ करण कल्याण, गाथा- ३.
४. पे. नाम सिद्धाचलजी चैत्ववंदन, पृ. १अ संपूर्ण,
शत्रुंजयतीर्थ चैत्यवंदन, मु. रूप, मा.गु., पद्य, आदि: पश्चिमदेश मनोहरू; अंति: रूप कहे कर जोड, गाथा-६. ५. पे. नाम. बंगाली पद, पू. १अ १आ, संपूर्ण
बं., पद्य, आदि अमि देखी माहाराज अंति: अमे देखी माहाराज, गाथा-७.
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८८९७६. (*) अजितनाथ की मेरटी, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. १, प्र. वि. संशोधित. जैवे. (२५x११, १६x४९).
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अजितजिन स्तवन, मु. छित्रमल, पुहिं., पद्य, आदि: भवकजिन मनकु समझाना अति सुणज्यो सब कांना, गाथा-३२. ८८९७७. नवकार रास व ढंढणऋषि सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२५. ५X११, १३X३८).
१. पे. नाम. नवकाररास, पू. १अ २अ, संपूर्ण.
नमस्कार महामंत्र रास, मा.गु., पद्य, आदि पहिलुंजी लीजइ अरिहंत अंति: जगमांहि नही कोई आधार, गाथा-२२.

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