Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 21
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 458
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.२१ www.kobatirth.org ४. पे नाम. स्नात्र विधि, पृ. १आ, संपूर्ण. लघुस्नान विधि, प्रा., मा.गु. सं., प+ग, आदि प्रथम नित्य जिसी अति कही सर्वसाधु वांदीये. ८९०९४. (f) उपशम व भरहेसरबाहुबली सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पू. १, कुल पे २ प्रले. मु. न्यानरत्न राज्यकाल आ. कल्याणरत्नसूरि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे. (२४.५x१०.५, १९४५०-५५). " १. पे. नाम. उपशम सज्झाय, पृ. १अ १आ, संपूर्ण. मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि भगवती भारति मनधरीजी अंतिः मुनि लखमी कल्लोल रे, गाथा-२१. २. पे. नाम. भरहेसरबाहुबली सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण. भरसर सज्झाय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि भरहेसर बाहुबली अभव; अंति: जसपडहो तिहुबणे सबले, गाधा -१३. ८९०९५. शीयलव्रत, रथनेमिराजिमती व प्राणातिपातविरमणव्रत सज्झाय, संपूर्ण वि. २०वी श्रेष्ठ, पू. २, कुल पे. ३, दे., 5 (२५.५X११.५, १३x४३). १. पे. नाम शीयलव्रत सज्झाय, पू. १अ, संपूर्ण, मु. . कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरस्वती केरा रे चरण; अंतिः सीयल पालो नरनारी, गाथा- ८. २. पे. नाम रथनेमिराजिमती सज्झाय, पृ. १अ १आ, संपूर्ण. मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि काउसम्म ध्याने मुनिः अति निरमल सुंदर देहरे, गाथा- ९. ३. पे. नाम. प्राणातिपातविरमणव्रत सज्झाय, पृ. १आ - २अ, संपूर्ण. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, वि. २०वी, आदि: सकल मनोरथ पूरवा रे; अंति: कांति० प्रणमुं पाय रे, गाथा-६. ८९०९६ (+) युगमंधरजिन स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी मध्यम, पू. १, कुल पे. २. प्र. वि. संशोधित अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, दे. (२४.५५११, १७३३-३७). "" १. पे. नाम. युगमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. मु. रायचंद ऋषि, रा., पद्य, वि. १८४४, आदि: जगगुरु जगमींदर; अंति: आया पापकरम देयो ठेली, गाथा- ९. २. पे नाम. युगमंधरजिन स्तवन, पू. १अ १आ, संपूर्ण. मु. रायचंद ऋषि, रा., पद्य, वि. १८३६, आदि: महावदेव मे प्रभु रो; अंति: आवागमण अलगी कीजे, गाथा -९. ८९०९७. जंबूकुमार सज्झाय, नेमराजिमती स्तवन व औपदेशिक दोहा संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पू. १, कुल पे. ३, जैदे., " ४४३ (२५X११, १३X५०-५५). १. पे. नाम. जंबूकुमार सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण, वि. १७९४, भाद्रपद कृष्ण, ५, गुरुवार. जंबूस्वामी सज्झाय, भाव, पुनो, मा.गु., पद्य, आदि श्रेणिकनरवर राजीयो; अंति भणे तिम पांमो भवपार, गाथा-२०. २. पे. नाम. नेमराजिमती स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. मु. रुचिरविमल, मा.गु., पद्य, आदि मात सिवादेवी जाया; अंति (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा-४ अपूर्ण तक लिखा है.) ३. पे. नाम. औपदेशिक दोहा संग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण. हि.प्रा., मा.गु. सं., पद्य, आदि जीहां जीहां नयन खुले अंतिः राती पेड माटी हुहीम, गावा-२. ८९०९८. अरणिकमुनि व भरतबाहुबली सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पू. १, कुल पै. २, दे. (२४४११, १४x२८-३५). १. पे नाम. अरणिकमुनि सज्झाय, पृ. १अ संपूर्ण. मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि अरणक मुनिवर चाल्यो; अंति: मनवंछित फल सिधो जी, गाधा ८. २. पे. नाम. भरतबाहुबली सज्झाय, पृ. १अ १आ, संपूर्ण. मु. विमलकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि बाहुबलि चारित लीवो अंतिः विमलकीरति गुण गाय, गाथा- ११. ८९०९९. पद्मप्रभजिन स्तवन व औपदेशिक दोहा, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पू. १, कुल पे. २, जैदे. (२४४१०.५, १०X२८-३५). १. पे. नाम पद्मप्रभजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण " . " पद्मप्रभजिन स्तवन- संप्रतिराजावर्णनगर्भित, मु. कनक, मा.गु., पद्य, आदि धन धन संप्रति सांचउ; अति वेज्यो भव भव सेव रे, गाथा - ९. For Private and Personal Use Only

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