Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 10
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
शांतिजिन स्तवन, मु. प्रमोदरुचि, मा.गु., पद्य, आदि: साहिबा साँति जिन, अंतिः तुहि रह्यो रे लो, गाथा-५.
३. .पे. नाम. वासुपूज्यजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. प्रमोदरुचि, मा.गु., पद्य, आदि प्रभूजी वासुपूज्य अंतिः (-) (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण, गाथा- ३ तक लिखा है.)
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४. पे. नाम. पार्श्वनाथनु स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. प्रमोदरुचि, मा.गु., पद्य, आदि: वामाजी के नंदन वंदन, अंति: रुचिप्रमोदे राचे, गाथा-५. ४३१३० (+) बृहत्शांति, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. संशोधित अक्षरों की स्वाही फैल गयी है, वे. (२४४११,
१३४३९-४१).
बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., प+ग, आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: (१) सुखी भवतु लोक:, (२) जैनं जयति
शासनम्.
४३१३१. मरुदेवीमाता सज्झाय व अभिनंदनजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, दे., (२६X१३, १३X३५). १. पे. नाम, मारुव्देवी सज्झा, प्र. १अ संपूर्ण.
मरुदेवीमाता सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्म, आदि एक दन मारुदेवी आई अंतिः तव परगठ अंभव सारी रे, गाथा - ९, (वि. प्रतिलेखकने गाथांक नहीं लिखे हैं.)
२. पे. नाम. अभिनंदनजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण
पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: तुमे जोजो रे काई, अंतिः पामे सीवलर सदम, गाथा ९ (वि. प्रतिलेखकने गाथांक नहीं लिखे हैं.)
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४३१३२. मौनएकादसीदिने डोढसोकल्याणकनु गणणु, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ३, ले. स्थल. विसलनगर, दे., (२७X१२.५, १२X३३). एकादशीपर्व गण, सं. को, आदि: जंबूद्वीपे भरते अतीत अंतिः श्रीअरण्यकनाथाय नमः, (वि. अंत में गुणनविधि दी गई है.) ४३१३३ (+) चिंतामणीपार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण वि. १९वी मध्यम, पृ. २. प्र. वि. श्रीसंभवनाथजी संशोधित, जैदे., (२५.५५११.५, ११४३५).
पार्श्वजिन स्तोत्र - चिंतामणि, आ. कल्याणसागरसूरि, सं., पद्य, आदि: किं कर्पूरमयं सुधारस; अंति: बीजं बोधिबीजं ददातु श्लोक-११.
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४३१३४. () बीजनुं स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र. वि. पत्रांक अंकित नहीं है., अशुद्ध पाठ. वे. (२७४१३, १२४४१). बीजतिथि स्तवन, मु. चतुरविजय, मा.गु., पद्य वि. १८७८, आदि: सरस वचन रस वरसती, अंतिः तस घर लील
विलास ए, ढाल - ३, गाथा - १६.
४३१३५. पुंडगीरी नमस्कार व सुभाषित संपूर्ण वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, ले. स्थल, अमदावाद,
लियम कल्याणविमल, प्र.ले.पु. सामान्य, दे. (२७.५४१२, ११४२४-३०).
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मु.
१. पे. नाम. पुंडरगीरी नमस्कार, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
शत्रुंजयतीर्थ स्तव, सं., पद्य, आदि: धरणेंद्रप्रमुखानागाः, अंति: लप्स्यते फलमुत्तमम्, श्लोक-१३.
२. पे नाम. सुभाषित, पृ. १आ, संपूर्ण.
दुहा संग्रह, प्रा., मा.गु. सं., पद्य, आदि: (-): अंति: (-), गाधा-१.
४३१३६. (#) पद्मावती स्तोत्र, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र. वि. मूल पाठ का अंश खंडित है, दे.,
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(२४.५X१०.५, १०X३२).
पद्मावतीदेवी स्तव, सं., पद्य, आदि: श्रीमद्गीर्वाणचक्र, अंति: (-), (पू.वि. श्लोक-११ अपूर्ण तक है.)
४३१३०. धर्मजिन तवन, संपूर्ण वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, अन्य श्रावि अवलबाई, प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. पत्रांक अंकित नहीं है., दे., (२६X१३, १३x४०).
धर्मजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि हां रे मोने धरम, अंतिः मोहन० अति घणो रे लो, गाथा-७.

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