Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 09
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 358
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.९ www.kobatirth.org ३४१ केसरबाई गहुली, मु. चौखमलजी म. रा., पद्य वि. १९६२, आदि: केसरबाई नाम आपको अंतिः उगणीसे बासठ माये, गाथा - १२. 1 ३७८१५. सज्झाय व ज्योतिष संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २, जैदे., ( २६.५X११.५, ११-१४X३७). १. पे. नाम. दानशीलतप भावना संवाद, पृ. १अ - ४आ, संपूर्ण. दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि प्रथम जिनेसर पाय अंतिः समृद्धि सुखकारो रे, ढाल - ४, गाथा-१०१, ग्रं. १३५. २. पे. नाम. महादशा अंतर्दशा विचार, पृ. ४आ, संपूर्ण. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सं., गद्य, आदि: सूर्यदिनदशा २०; अंति: एकादशे ११ भृगुः. ३७८१६. स्तवन व श्लोकार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२६X११, ९-११X३८-४५). १. पे. नाम. छन्नू तीर्थंकर स्तवन, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण. ९६ तीर्थंकर स्तवन, उपा. सुमतिशेखर, मा.गु, पद्य, आदि: त्रणि चडवीसी बहुतिर, अंतिः पर्यपड़ सबल संघ जइकारो, गाथा - १५. २. पे. नाम, श्लोक संग्रह. पू. २अ २आ, संपूर्ण लोकसंग्रह, प्रा., मा.गु. सं., पद्य, आदि: दुडुत्तणेण अंतिः केतलाये घिन पामई, गाथा-१ (वि. गाथा का अर्थ भी दिया " गया है.) ३७८१७. स्तवन व कवित्त, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२५.५X११, १४X४०). १. पे. नाम. समवसरण स्तवन, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. 3 " नेमिजिन स्तवन- समवसरणविचारगर्भित मु. सोमसुंदरसूरि-शिष्य, मा.गु पद्य वि. १६वी, आदि जायवकुल सिणगार सिरि, अंति: अनंती ते लहड़ ए. कडी ३३. २. पे. नाम. कवित्त, पृ. २आ, संपूर्ण. प्रास्तावित कवित्त, मा.गु., पद्य, आदि: विनय देव रंजी विनय; अंतिः ते काम कमह न छंडीअ, गाथा-१. ३७८१८. (#) सप्तभंगी स्वरूप सह विवरण, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., ( २६१२, १०x४२). सप्तभंगी स्वरूप गाथा, प्रा., पद्य, आदि: सिया अत्थि १ सिया; अंतिः सव्वभावे सुसमया, गाथा - ३. सप्तभंगी स्वरूप गाथा- विवरण, पं. दानचंद्र गणि, मा.गु., गद्य, आदि: सकल पदार्थ आप आपणे; अंति: विषई सम्मत्तं. ३०८१९ (+) स्तवन व पद, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १. कुल पे २ प्रले गणल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५.५X११.५, १३३८). १. पे. नाम, नेमि जिन स्तवन, पृ. १अ १ आ. संपूर्ण. पुहिं., पद्य, आदि: मन भजुं सुनै गुणनतन, अंति: सरै हमारा काज, गाथा - ५. ३७८२०. जंबूस्वामी चरित्र कथा, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., ( २६x१२, १४४१). मिजिन स्तवन, मु. गजानंद, मा.गु., पद्य, आदि: पीय नेम पधारो हो कि; अंति: गजानंद० पावो सुखघणा, गाथा - ११. २. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण. जंबूस्वामी कथा, मा.गु., गद्य, आदि: सुप्रभावं जिनं, अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., 'मधुबिंदु कथा' तक लिखा है.) For Private and Personal Use Only ३७८२१. (+) शत्रुंजय लघुकल्प, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. संशोधित., जैदे., ( २६.५X११.५, १५X३६). शत्रुंजयतीर्थ लघुकल्प, प्रा., पद्य, आदि: अइमुत्तयकेवलिणा कहिअ; अंति: लहइ सेत्तुंजजत्तफलं, गाथा-२५. ३७८२२. कलावती सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६११.५, १५X३५). कलावती सती सज्झाय, मु. यादव ऋषि, मा.गु, पद्य, आदि: सुमति जिणेसर पाय अंतिः ऋषि यादव जयकार रे, गाथा- २३.

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