Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 09
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 436
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.९ www.kobatirth.org ७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २आ, संपूर्ण. मा.गु., पद्य, आदि आसा सहूने सरखी रे; अंति: कर भुरीइ पापी रे, गाथा- ३. ८. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. २आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं. मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: मनरा मानीता साहिबा, अंति: (-), (पू.वि. गाथा २ अपूर्ण तक है.) ३८५४८. जिन स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. २१ (१) ०१. कुल पे. ५, जैवे. (२०४९, १५X४७). " १. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २अ अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. उपा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: ले सुर नरे गाव्यो हो, गाथा-५, (पू. वि. गाथा २ अपूर्ण से है.) २. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. २अ, संपूर्ण. उपा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: हुं हुं रे अबला ताहर; अंति: लेइ मुगतिमां वासी, गाथा-५. ३. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. २अ २आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन, मु. उदयरत्न, रा., पद्य, आदि: साहिबरी सेवामां रहिस, अंति: जय जय श्रीमहावीर, गाथा-६. ४. पे. नाम. जिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण. साधारणजिन स्तवन, मु. हंस, मा.गु, पद्य, वि. १७७१, आदि: सकल कुसल वन संचवा हो, अंतिः कीजि कोडि कल्याण, गाथा-८. ५. पे नाम, शांतिजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण יי Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सेवयो रे शांति जिणंद, अंति: देयो दोलति दीपती रे, गाथा-५. ३८५४९. (१) पार्श्वजिन जाप व उवसग्गहर स्तोत्र, अपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पू. २- १ (१) १, कुल पे. २. प्र. वि. पत्रांक नहीं होने के कारण २ काल्पनिक लिया है. मूल पाठ का अंश खंडित है, जैवे. (२०.५x११.५, १२४३०). " १. पे. नाम. पार्श्वजिन जाप मंत्र, पृ. २अ, संपूर्ण. सं. गद्य, आदिः ॐ नमो भगवते श्रीशंखे, अंति: ह्रीं श्रीं लिए. मंत्र- १. ४१९ २. पे. नाम. उवसग्गहर स्तोत्र, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण. उवसग्गहरं स्तोत्र, प्रा. सं., पद्य, आदि उवसग्गहरं पासं पासं, अंतिः भवे भवे पास जिणचंद, गाथा- १५. ३८५५०. (#) सरस्वतीदेवी छंद, सरस्वती स्तुति व क्षुद्रोपद्रवनिवारण स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्र. वि. अक्षरों की स्वाही फैल गयी है, दे. (२०.५X१२.५, १२४३० ). , १. पे नाम, सरस्वतीदेवी छंद, पृ. १अ संपूर्ण. मु. दयानंद, मा.गु., पद्य, आदि: मा भगवती विद्यानी; अंति: जाउं तोरी बलीहारी, गाथा- ७. २. पे. नाम. शारदा स्तुति, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण. शारदादेवी स्तुति, सं., पद्य, आदिः या कुंदेंदुतुषारहारध, अंतिः निश्शेषजाड्यापहा श्लोक - १. ३. पे. नाम. क्षुद्रोपद्रवनिवारण स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण. संबद्ध, सं., पद्य, आदि: सर्वे यक्षांबिकाद्या, अंति: द्रुतं द्रावयंतु नः, श्लोक-१. "" ३८५५१. स्तोत्र व मंत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. १६-१४(१ से १४) =२, कुल पे २ जैदे. (२१x११, १२x३२). १. पे. नाम. धरणेंद्रचिंतामहामंत्रगर्भित चिंतामणि स्तोत्र, पृ. १५अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. पार्श्वजिन स्तोत्र - चिंतामणिमहामंत्रगर्भित, धरणेंद्र, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: धीरैः शस्वदन्वेषणीयं श्लोक-३२, (पू.वि. श्लोक २३ अपूर्ण से है) २. पे. नाम. मंत्र-तंत्र-यंत्र संग्रह, पृ. १५ अ - १६आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं. उ.पु., प्रा., मा.गु. सं., पग, आदि: (-): अंति: (-). For Private and Personal Use Only ३८५५२. स्थूलिभद्र सज्झाय व भक्तामर स्तोत्र, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २- १ (१) = १, कुल पे. २, दे., (२१X११.५, १०X२७). १. पे. नाम. स्थुलिभद्र सज्झाय, पृ. २अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.. स्थूलभद्रमुनि सज्झाय, मु. शिवचंद, मा.गु, पद्य, आदि: (-); अंति: वाचा अविचल पाली, गाथा-१३ (पू. वि. गाथा १० अपूर्ण से है.)

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