Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 09
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.९
४३१ ३८६४२. स्तवन व स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, दे., (१७४११, १०४२०). १.पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: नंदसलोणानंदणारे; अंति: उदेरतन०भाविइं रेलोल, गाथा-४. २. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण. सं., पद्य, आदि: लक्ष्मीवत्यांशोभा; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., मात्र प्रथम श्लोक लिखकर कृति
पूर्ण कर दी गई है.) ३८६४३. (-) औपदेशिक पद, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. प्रतिलेखन संवत् अस्पष्ट है., अशुद्ध पाठ., दे., (१७४११, १३४१७).
औपदेशिक सज्झाय, मु. रतनचंद, रा., पद्य, आदि: थारी फूल सी देह पलक; अंति: रतनचंद० अबीलाषेरे, गाथा-५. ३८६४४. प्रश्नोत्तरमाला, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२३.५४११.५, १२४३५-४८).
प्रश्नोत्तरमाला, मा.गु., गद्य, आदि: पैले प्रश्नरो उत्तर; अंति: फल खोटा कह्या छै. ३८६४५. जिन स्तवन व मधुबिंदु सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२४४११, १६-१९४४८-५४). १. पे. नाम. बांभणवाड महावीर स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-बामणवाडजी, मु. विबुधविजय, मा.गु., पद्य, आदि: गुण गावारे आवो सोह; अंति: विबुध रे
भवि भावसु, गाथा-१३. २.पे. नाम. ऋषभजिन स्तव, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मु. अमरविमल, पुहि., पद्य, आदि: साचै दिल सांई मिले; अंति: अमरविमल० की व्यार, गाथा-८. ३. पे. नाम. मधुबिंदु सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण..
मु. चरणप्रमोद-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति मुझने रे मात; अंति: पइ परमसुख मइ मांगिओ, गाथा-१०. ३८६४६. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. ३-१(२)=२, कुल पे. ९, जैदे., (२४४११, १०४३०). १.पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. कल्याणविमल, पुहि., पद्य, आदि: मेरो मन मगन भयो अब; अंति: गुण ए गिरिराज के गाई,
गाथा-४. २. पे. नाम. गौतमस्वामि स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी स्तवन, मु. गुणसागर, पुहि., पद्य, आदि: लब्धि गुरु गौतमसामी; अंति: दुख टारेगो मावीर, गाथा-४. ३. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १आ, अपूर्ण, पृ.वि. अंतिम पत्र नहीं है.
मा.गु., पद्य, आदि: आजुनू दन रडीआमणोरे; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-३ अपूर्ण तक है.) ४. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. ३अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. मु. मेघलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: लाभ० ते नवनध जागी हो, गाथा-६, (पू.वि. अंतिम गाथा के मात्र अंतिम
दो पाद है.) ५. पे. नाम. गोडी पार्श्वजिन पद, पृ. ३अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन पद-गोडीजी, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: ले लागी ले लागी रे; अंति: आवगमण निवारी रे,
गाथा-४. ६. पे. नाम. वर्द्धमानजिन पद, पृ. ३अ, संपूर्ण
महावीरजिन पद, पुहिं., पद्य, आदि: रसमे रसमे रसमे जिणंद; अंति: केलाण के जसमे जिण, गाथा-३. ७. पे. नाम. महावीरजिन पद, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: बलीहारी रे जाउ वारी; अंति: तारीया नरने नारी, गाथा-३. ८. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: चाल चाल चाल रे कुअर; अंति: प्रभु तुझने नमेरे, गाथा-३. ९. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
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