Book Title: Jinmahendrasuriji ko Preshit Prakrit Bhasha ka Vignapti Patra Author(s): Vinaysagar Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 8
________________ September-2005 15 सत्यासेचनके सुजेशलमहादुर्गे पुरे तस्थुषां, चातुर्मास्यविधानसाधनकृते श्रीपूज्यराजामिदम्, विज्ञप्तिच्छदनं प्रमोदसदनं पत्पद्मयोः प्राभृती-- कुर्वे प्राकृतबन्धुरं गुरुधियः शश्वत् क्रियासुः कृपाम् ॥२॥ द्वाभ्यां युग्मम् सोत्थि सिरिसंतिजिणं पणमिऊण सिरिजेसलमेरुणयरपवरे पुज्जा परमपुज्जा उत्तमा उत्तमुत्तमा जातिसंपन्ना कुलसंपन्ना बलसंपन्ना रूवसंपन्ना लज्जालाधवसंपन्ना सुयपुण्णा जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोहा जियनिद्दा जियइंदिया जियपरीसहा खंतिप्पहाणा मुत्तिप्पहाणा भव्ववरपुंडरीया पवरमुहसिरीया सुगहियचरित्तहिरीया पुण्णचंदविसालकंतवयणा अमियमहुरवयणा करुणा भरमंथरनयणा अमियवरगुणभायणत्तणेण अहरीकयगयणा अणेगच्छेगकरविचित्तनायकहणेण रंजियसयलसयणा महिसनाणज्झाणसप्पहविद्धंसकयहत्थदुट्ठमयणा कयाखिलजयजंतुजयणा निद्देसट्टियनरनियरेहि सययकयभयणा सज्जनगुणाणुरत्ता सयलसुहलक्खणलियगत्ता कारुण्णदेसण्णया सत्थीकयसव्वअइदुग्घडसत्थघडण(णा)वक्खाणविहिम्मि विहियपडुनिरुत्ता आइण्णवलेसमुक्किट्ठसूरिगुणजुत्ता चेट्ठिगियाईणं लद्धलक्खत्तणेण वित्तासियनियडिधुज्जधुत्ता नियमिहाणसईवासइसमरियसुद्धसुत्ता विस्सविस्सपसरिय-पवरपण्डुरजसेण विजियमत्तसुत्ता अट्ठमिहिमकिरण-पमाणपडिपुण्णपुण्णभाला गरिदुगुणविसाला सव्वसमयमाणसके लिकरणरायमराला विसयविवागपयडीकरणाकलुससलिणेण विज्झवियवम्महजलणजाला जियदुद्धरमयणा भवियवरपुण्डरीयविबोहणे सहस्सकिरणा चंदेव सीयलीकयक-सायपरिभवियसयलसत्तगणा वियसियकु मुयनयणा महुरवरवयणरंजियसयणा नाणाइप्पहाणा गुणलयणा सयलसूरिगुणनिहाणा, किं बहुणा ? जाव कुत्तियावणब्भूया जिणागमजलनिहिपारगा भट्टारगकुलप्पवरा जंगमजुगप्पहाण-भटारगा सिरि १०८ सिरिसिरिसिरिसिरिसिरिजिणमहिदसूरिसूरिनायगा सुविणीयपाठगवाचग- . साहुसीसगणसपरिवारा तेपई सिरिपल्लियपुरिवराओ' दंसणाभिलासी २. भिन्न लिपि में किनारे पर किसी ने "पल्लयपुरिवराओ" के स्थान पर "खाचरोधनगराओ" लिखा है । वह भ्रामक है । क्योंकि आगे पत्र में संघ की ओर से "पालीखेत्र लायक है जीणसु पालीखेत्र में" लिखा गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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