Book Title: Jinmahendrasuriji ko Preshit Prakrit Bhasha ka Vignapti Patra
Author(s): Vinaysagar
Publisher: ZZ_Anusandhan
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________________ September-2005 / लीखतु पुगलिया धनसुख री वंदणा 108 वार अवधारसी करपा करने पधारसी और..... / लीखतु गोलेछा अगरचन्द आलमचन्द री ....... वंदणा 108 वार करने अवधारसी / लीखतु सुभकरण सेसकरण * लूणियारी वंदणा मालम 108 वार होसी हस्तखत निहालचन्दरा छ : | लीखतु नथमल चपरोर बंदणा ......... 108 वार अवधारसी / लीखतु नगारामरा वंदणा वंचावसी वार 108 वार वंचावसी धरम सनेह रखा जण वैसे ही रखावसी / लीखतु ..... साल लखमीचन्द अर समसतरी वंदणा 108 वार वंचावसी / लीखतु पारख उमेदमल री वंदणा 108 वार वंचावसी | ली खजांची माणकचन्द अगरचन्द री वंदणा 108 वार वंचावसी / ली माणकचन्द कुनणमल .......... वंदणा श्री 108 वार वंचावसी ! लीखतु कांकरीया भीवराज री वंदणा 108 वार वंचाक्सी / लीखतु ............. वंदणा 108 वार वंचावसी घणा मानसु करी ने / लीखतु नाहटा दौलतराम बुधमल जेठमल री वंदणा 108 वार वंचावसी अवधारसी धमसनेह रखावसी, / लीखतु लधाराम ........ री वंदणा वार 108 अवधारसी धमसनेह रखावसी जी मोहणोत आज्ञाकारी वनेचन्द री वंदणा वार 108 मालम होसी / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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