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अब तो जागो जैनियो !
सुनील जैन 'संचय' मुद्दा- सिख समाज द्वारा दिन में शादी करने | तथा रहन-सहन में दिन-प्रतिदिन कमजोर क्यों होते जा का एलान।
रहे हैं। यूँ तो हमारी समाज में बड़े-बड़े धर्म के ठेकेदार हाल ही में अखबारों में एक समाचार आया था, | बहुसंख्या में हैं, संस्थाओं की भी कमी नहीं है। पर जिसका शीर्षक था 'रात में फेरों पर रोक लगी' समाचार सवाल तो यह है कि असल रूप में कितने लोग या
का शीर्षक पढ़कर मैंने सोचा था यह जैन समाज का कितनी संस्थायें जैन संस्कृति की रक्षा के लिए चिंतित निर्णय होगा परंतु अफसोस जब समाचार के अंदर पढ़ा | हैं। पूजन की थालियों पर तो खूब लड़ाईयाँ समाज में तो उसमें लिखा था 'सिख समुदाय में रात के वक्त | हो रही हैं, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। शादी करने-कराने पर पूरी तरह बैन लग गया है। दिल्ली | धर्म के तथाकथित ठेकेदारों को कम से कम अब तो सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने साफ कर दिया है कि | जाग जाना चाहिए। आज हमारी जितनी भी संस्थाएँ हैं, अगर सिख समुदाय का कोई भी व्यक्ति इस फरमान | उनका बस कार्य रह गया है एक-दो प्रस्तावों को पारित का उल्लंघन करेगा तो शादी रुकवाई भी जा सकती कर देना, उन्हें जैन पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित कर देना। है, इसलिए बेहतर होगा कि लोग दिन में ही शादी रचाएँ। उसके बाद वह प्रस्ताव फायलों की शोभा बढ़ाते हैं और यही नहीं समाचार में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी | अब तो प्रस्ताव भी पूर्वाग्रह से ग्रसित होते हैं। क्या कभी के महासचिव बलवीर सिंह विवेक बिहार के हवाले | किसी संस्था या नेता ने सिख समुदाय जैसा प्रस्ताव पारित से लिखा था कि 'शादियाँ दिन में ही हों इस पर नजर | करने व अमल में लाने की हिम्मत दिखायी है? खैर! रखने के लिए हर इलाके में टीम तैनात कर दी गई | हमारे जैन समाज में ऐसी संस्था या संगठन ही कहाँ है। सभी गुरुद्वारों को फरमान जारी कर दिया गया है | है जिसके फरमान को पूरी जैन समाज शिर-माथे ले। कि अगर कोई भी ग्रंथी रात के वक्त शादी कराने जाएगा | हाल ही में एक संस्था का राष्ट्रीय अधिवेशन था। मैं तो उसे फौरन सस्पेंड कर दिया जाएगा। इससे पहले | भी उसमें उपस्थित था। वहाँ उपस्थित एक सुप्रसिद्ध गुरुद्वारा बंगला साहिब के एक ग्रंथी को रात के वक्त | जैन विद्वान् ने दो प्रस्ताव कार्यकारिणी में रखे- 1:जो शादी कराने के मामले में सस्पेंड किया जा चुका है। जैनी जैनेतर समाज में शादी कर रहे हैं, उनको समाज शादियों में सिर्फ शाकाहारी खाना परोसा जायेगा।' जैन | के मंच से न तो सम्मानित किया जाय न ही ऐसे आयोजनों समाज के लिए यह समाचार करारा तमाचा से कम नहीं | में सम्मिलित हों। 2. विवाह के निमंत्रण पत्र में भोजन है। क्या जैन समुदाय में इस प्रकार का हिम्मत पूर्ण | की व्यवस्था दिन में भी है' रात्रि में अमुक समय तक फैसला लेने का हौसला है? यह समाचार पढ़कर लगा | है, इस प्रकार का न छापा जाय तथा दिन में ही शादी कि मानो सिख समुदाय के लोग जैन समुदाय से कह | हो।' जब यह दो प्रस्ताव अधिकारियों ने सुने तो अधिकांश रहे हों कि जैनियों शास्त्रों में लिखा होना और उनका | लोग नहीं चाहते थे कि इस प्रकार के प्रस्ताव पास हो। व्याख्यान कर देना मात्र ही कार्यकारी नहीं है, आचरण | फिर विद्वान् महोदय ने जिस ढंग से अपनी बात रखी में लाये बिना सब बेकार है। सिख समाज सीना तानकर | उसे देखते हुये हाँ कहना पड़ी। लेकिन यही बात जब मानो यह कह रहा हो कि जैनियों तुम भी हमारे रास्ते | खुले मंच से उक्त विद्वान् ने कहीं तो कुछ तथाकथित पर चलो।
ठेकेदार मंच पर विरोध करने लगे और अंततः यह कहना हमारी जबान पर होना तो यह चाहिए था कि | पड़ा कि ये प्रस्ताव सुझाव के रूप में रखे गये हैं। अगले जैन समाज की तरह अन्य समुदायों को भी दिन में | अधिवेशन में इन पर निर्णय लिया जाएगा। बताइये यह शादी करना चाहिए। परंतु आज हम यह कहने के लिए | सब क्या उचित है? मजबूर हैं कि देखो सिख समुदाय की तरह जैन समाज | अब समय आ गया है समाजहित में, धर्म की में भी दिन में शादियों का प्रावधान होना चाहिए। सोचें | रक्षा और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए कुछ कठोर आखिर हम अपनी आदर्श संस्कृति, सभ्यता व व्यवहार | कदम उठाने का। आखिर हम नींद से कब जागेंगे?
--मार्च 2008 जिनभाषित 22
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