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सहस्रांस्तु पितॄन् माता, गौरवेणातिरिच्यते॥ । अच्छे व्यक्तित्व का मूलभूत गुण अच्छा नजरिया है। अच्छी
परमपूज्य आचार्य विद्यासागर जी ने अपने महाकाव्य | और सकारात्मक प्रवृत्तियाँ है। अतः आप अच्छा नजरियाँ मूकमाटी में माँ का जीवंत तथा आदर्श चित्रण किया है। सीखें, अच्छी प्रवृत्तियाँ अपनाएँ। हम अपने जीवन की उन्होंने माँ को विश्व प्रसिद्ध एवं विश्व की अनेक भाषाओं | परिस्थितियों को तुरंत परिवर्तित नहीं कर सकते, किन्तु हम में अनुवादित 'माँ' उपन्यास के रचयिता गोर्की से भी अधिक | अपने व्यक्तित्व में सहजता और सरलता से सहन करने की ऊँचाई दी है। बालब्रह्मचारी दिगम्बर संत द्वारा मातृत्व के | प्रवृत्ति और शक्ति विकसित कर सकते हैं। हम देश में फैल सर्वोत्कृष्ट लक्ष्य का ऐसा विवेचन निश्चित ही अत्यधिक | रहे नकारात्मक वातावरण को नियंत्रित नहीं कर सकते, सराहनीय है
परन्तु हम अपने और अपने बच्चों के मस्तिष्क को अपनी माँ की गोद में बालक हो।
इच्छानुसार नियंत्रित कर उसे सकारात्मक ढंग से विकसित माँ उसे दूध पिला रही हो।
कर सकते हैं। पूज्य उपाध्याय ज्ञानसागर जी ने बुन्देलखण्ड के ग्रामीण
. आप सतर्क रहें। संवेदनशील बनें। सही चिंतन करें। क्षेत्र की निर्धन यवा प्रतिभाओं की पहचान की। उन्होंने ऐसी | सहीं चिंतन करने वाले व्यक्तियों से मिले-जुलें। उनकी प्रतिभाओं एवं उनके परिवार का विश्वास अर्जित किया अच्छी आदते सीखें। अच्छे कार्यों को बार-बार करके हम और हमें ऐसी प्रतिभाओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने का अच्छी प्रवृत्तियाँ और अच्छी आदतें विकसित करें। आप अवसर दिया। नारी शिक्षा के क्षेत्र में उनकी यह व्यावहारिक | प्रतिदिन सही शब्द बोलें, प्रतिदिन अच्छी पुस्तकें पढ़े, आप एवं प्रभावी भूमिका अत्यधिक सराहनीय और अनुकरणीय | कभी किसी को नीचा न दिखायें। किसी की आलोचना नहीं
करें। हँसी-मजाक में भी आलोचना नहीं करें। ऐसी आलोचना इस आलेख के माध्यम से प्रत्येक छोटी बहिन, बहू | किसी को स्थायी चोट पहँचा सकती है। नीचा दिखाने से एवं बेटी से मेरा विनम्र आग्रह है कि हम ज्ञान आधारित | किसी व्यक्ति का स्वाभिमान और आत्मविश्वास कम हो समाज के सक्रिय एवं प्रभावी अंग बनें। लगातार कुछ नया सकता है। जब कभी भी अवसर मिले, अन्य व्यक्तियों की करें। सदैव रचनात्मक कार्य करें। नई परिकल्पना करें। नई | प्रशंसा करें। अपने से छोटों को बेहतर काम करने के लिए खोज करें। नई परिकल्पना और नई खोज को मिलाकर कुछ | प्रेरित एवं प्रोत्साहित करें। प्रोत्साहन ऑक्सीजन की भाँति नया गढ़ने का प्रयास करें। घिसे-पिटे विचारों को नया स्वरूप | उपयोगी होता है। प्रोत्साहन से व्यक्ति अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दें। पुराने विचारों को नए ढंग से लाग करें। अच्छे परिवर्तनों | करते हैं।
और नई प्रक्रियाओं को स्वीकार करने के लिए सदैव तत्पर अपने भीतर छुपे नेतृत्व के गुणों को उभारें। अपनी रहें। प्रत्येक क्षण नई संभावना की खोज करें। अपने नजरिए | विशेष योग्यता की पहचान कर उसे विकसित करें। स्वयं में लोच रखें। अच्छी बात का आनन्द उठायें। भूल को | को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। सुधारें। हम किसी वस्तु या घटना को भले ही साधारण | आप सदैव यह स्मरण रखें कि विभिन्न बाहरी साधनों व्यक्ति की भाँति देखें, किन्तु उस पर विशिष्ट व्यक्ति की | को अपनाकर आप अपने चेहरे की सुंदरता में थोड़ी सी ही भाँति सोचें। सभी स्तरों पर निरंतर नूतन तरीका अपनाएँ।। वृद्धि कर सकती हैं परन्तु अपनी दुर्भावनाओं और दुष्प्रवृत्तियों नित्य नवीन करने की ललक रखें। नई कार्य संस्कृति को नियंत्रित कर अपने व्यक्तित्व की सुन्दरता में चतुर्मुखी विकसित करें। कुशाग्रबुद्धि एवं रचनात्मक मनोवृत्ति वाले | वृद्धि कर सकती हैं। युवक-युवतियों को सामने लाएँ। उनके विचारों को आप अपनी क्षमता और शक्ति का सदुपयोग करें। व्यावहारिक स्वरूप दें। नए विचारों की प्रतिस्पर्धा विकसित सर्वप्रथम आप अपने ऊपर विजय प्राप्त कीजिए। अपने करें। ऐसी प्रतिस्पर्धा को संरक्षण और संवर्द्धन दें। नए विचार |
जीवन में आत्म अनुशासन विकसित कीजिए। आप आज और सोच को पुरस्कृत और प्रोत्साहित करें।
से ही आत्म अनुशासन के छोटे छोटे बिन्दु विकसित करना आप अपने व्यक्तित्व में अच्छा नजरिया और | प्रारंभ कर दें। ताकि आप कल बड़ी सीमा तक अनुशासित सकारात्मक प्रवृत्ति विकसित करें। तकनीकी प्रशिक्षण के हो सकें। अच्छा चरित्र हमें धीरे-धीरे बनाना पड़ता है। हम कारण केवल 15 प्रतिशत सफलता मिलती है। शेष 85| अपनी भावनाओं से नहीं, किन्तु अपने चरित्र से संचालित प्रतिशत सफलता अच्छे व्यक्तित्व के कारण मिलती है और | हो। अच्छे विचार, साहस और संकल्प से अच्छा चरित्र और
• अप्रैल 2007 जिनभाषित 21
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