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यह शिविर मुख्यरूप से युवा एवं प्रौढ़ शिविरार्थियों। लौकिक शिक्षा (वाणिज्य, विज्ञान, कम्प्यूटर) के साथ धार्मिक के लिये था शिविर का आयोजन दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति | शिक्षा एवं संस्कार दिये जाते हैं। संस्थान, सांगानेर के अधिष्ठाता पं. रतनलाल जी बैनाड़ा के | लौकिक शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को आवास कुलपतित्व में हुआ। जिसमें जैन धर्म शिक्षा भाग 1-2,] एवं भोजन की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है, जबकि धार्मिक छहढाला तथा तत्त्वार्थसूत्र का अध्ययन कराया गया। अध्ययन | जैन विद्वान् बनने के लिए प्रविष्ट हए छात्रों का भोजन, करानेवाले, स्वयं बैनाड़ा जी के अलावा पं. सौरभ जी शास्त्री | आवास, वस्त्र, लेखन सामग्री, स्कूल फीस आदि की सुविधाएँ एवं पं. पुलक जी शास्त्री थे। शिविरार्थियों की संख्या लगभग | निःशुल्क उपलब्ध हैं। जिन छात्रों ने दसवीं (हाईस्कूल) की 140 रही। सुबह तथा रात्रि में कक्षाएँ लगती थीं एवं दोपहर | परीक्षा इस वर्ष उत्तीर्ण की है तथा प्रवेश के इच्छक हैं, वे में 2 घंटे तत्त्वचर्चा होती थी। तत्त्वचर्चा के दौरान अनेक गूढ़ | अपना प्रार्थना पत्र श्रमण ज्ञान भारती मथुरा के पते से मँगाकर, विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
पासपोर्ट साइज फोटो एवं अंकतालिका 20 जून 2007 तक शिविर को संयोजन श्री किशोर जी तथा दिगम्बर जैन | उपर्युक्त पते पर भेज सकते हैं। नैतिक शिक्षा समिति के अध्यक्ष धनपाल सिंह जी जैन, | जिन छात्रों को दसवीं कक्षा में 55 प्रतिशत से कम महामंत्री- विमल प्रसाद जी, सुभाष जी, मदनलाल जी आदि | अंक प्राप्त हुए हों, वे प्रार्थना पत्र न भेजें। के सहयोग से किया गया। समापन समारोह की अध्यक्षता | इस वर्ष मात्र 15 छात्रों को प्रवेश दिया जाना है अतः श्री सलेखचंद जी ने की। सभी देहलीवासियों ने शिविर की | आवेदन करने में शीघ्रता करें। बहुत-बहुत सराहना की एवं भविष्य में निरंतर इसीप्रकार
निरंजनलाल बैनाड़ा शिविर लगाने का संकल्प किया।
अधिष्ठाता, 9927091970, डॉ. अशोककुमार जैन महावीर पुरस्कार 2006 से
छात्रावास 0565-2420323 पुरस्कृत
छात्र प्रवेश सूचना जैन जगत् में ख्यातिलब्ध, युवामनीषी डॉ. अशोक | श्री दिगम्बर जैन संस्कृत शिक्षा समिति द्वारा संचालित कुमार जैन, रीडर जैन बौद्ध दर्शन विभाग, संस्कृत विद्या धर्म | श्री दिगम्बर जैन आचार्य संस्कृत महाविद्यालय मनिहारों का विज्ञान सङ्काय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी (उ.प्र.)| रास्ता जयपुर से सम्बन्ध पं. चैनसुखदास जैन छात्रावास में को दिनांक 3 अप्रैल 2007 को महावीर जयन्ती के पावन | वर्ष 2007-2008 के लिए प्रवेश हेतु आवेदन पत्र दिनांक प्रसंग पर आयोजित श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र महावीर | 15/6/2007 तक आमन्त्रित है। जी में जैन विद्या संस्थान द्वारा विशाल धर्मसभा में उनकी इच्छुक विद्यार्थी कक्षा आठ, दस एवं बारहवीं में शोधकृति 'जैनदर्शन में अनेकान्त वाद : एक परिशीलन' पर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने चाहिये। आवेदन प्रतिष्ठित दिगम्बर महावीर पुरस्कार 2006 से पुरस्कृत किया गया। जैन व्यक्ति द्वारा प्रेषित होना चाहिए। प्रवेश दिये जाने पर छात्र प्रवेश सूचना
निःशुल्क आवास एवं भोजन की सुविधा उपलब्ध रहेगी। ज्ञान भारती जैन चौरासी मथुरा का सप्तम शैक्षणिक
प्रकाश चन्द्र दीवान सत्र 1 जुलाई 2007 से प्रारम्भ हो रहा हैं। यहाँ छात्रों को |
संयोजक
आचार्य श्री विद्यासागर जी के सुभाषित जिस प्रकार दो नेत्रों के माध्यम से मार्ग का ज्ञान होता है, उसी प्रकार निश्चय एवं व्यवहार इन दोनों नयों के माध्यम से मोक्षमार्ग का ज्ञान होता है।
जैसे दोनों कूल परस्पर प्रतिकूल होकर भी नदी के लिए अनुकूल हैं, ठीक वैसे ही व्यवहारनय और निश्चनय एक दूसरे के प्रतिकूल होकर भी आत्मा के प्रमाणरूप ज्ञान के लिए अनुकूल हैं।
मुनिश्री समतासागर-संकलित 'सागर द समाय'
से साभार
32 अप्रैल 2007 जिनभाषित
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