Book Title: Jinabhashita 2004 09
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 30
________________ मो. इब्राहिम कुरैशी अध्यक्ष (मंत्री दर्जा) मध्यप्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग "ई" ब्लाक, पुराना सचिवालय, भोपाल (म.प्र.) 462001 E-mail : minoritiescommission@rdiffmail.com Website : www.mpsmc.com निवास : 0755-5292462 2661592 कार्यालय : 0755-592461 फैक्स : 0755-5292463 विषय : गुजरात स्थित भगवान नेमीनाथ की निर्वाण भूमि जैन सिद्ध क्षेत्र श्री गिरनार जी जिला जूनागढ़ की पांचवीं टोंक पर अनाधिकृत निर्माण हटाने एवं उपासना स्थल का स्वरूप बदलने के विरूद्ध तत्काल कार्रवाई / हस्तक्षेप बाबत् । पत्र क्रमांक / 356/2004 दिनांक 28/7/2004 गुजरात में स्थित भगवान नेमीनाथ की निर्वाण भूमि जैन सिद्ध क्षेत्र पर्वत की पांचवीं टोंक पर छतरियां एवं देरियों का निर्माण श्री बंडीलाल जी दिगम्बर जैन कारखाना ट्रस्ट द्वारा किया गया था। बिजली गिरने से टूट गई इन देरियों एवं छतरियों का पुनः निर्माण तत्कालीन नवाब साहब की अनुमति से 1902 एवं 1914 में किया गया था । यह धार्मिक स्थल ऐतिहासिक पुरातत्त्व महत्व का होकर पुरातत्त्व विभाग की सूची में शामिल है तथा संरक्षित क्षेत्र है तथा प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत बने नियम - 1959 तथा इसके पूर्ववर्ती अधिनियमों के तहत नोटीफाइड है। प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम-1958 में उसके धार्मिक स्वरूप एवं उपयोग की स्थिति को यथावत रखा गया है। इसके दुरूपयोग किए जाने, प्रदूषित किए जाने, अपवित्र किए जाने से पूजा का संरक्षण इस अधिनियम की धारा-16 में हैं। इसी अधिनियम में ऐसे संरक्षित ऐतिहासिक महत्व के प्राचीन स्मारकों में अनाधिकृत प्रवेश अथवा स्वरूप बदलने की स्थिति में धारा-30 के तहत शास्तियां (दण्ड) दिए जाने की व्यवस्था है । साथ ही यदि जो धार्मिक क्षेत्र संरक्षित ऐरिया से हटकर है यदि उसके स्वरूप को बदला जाता है तब पूजा स्थल विशेष उपबंध अधिनियम-1991 के तहत स्वरूप बदलने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है तथा अवैधानिक निर्माण को रोका जा सकता है। 28 सितम्बर 2004 जिनभाषित Jain Education International अखिल भारतीय दिगम्बर जैन महासभा का ज्ञापन संलग्न है इसके अलावा मध्यप्रदेश राज्य से घोषित जैन अल्पसंख्यक समुदाय के विभिन्न संगठनों / प्रतिनिधियों ने आयोग से भेंट कर अवगत कराया है कि इस पवित्र स्थल पर कुछ लोगों द्वारा अनाधिकृत रूप से कब्जा कर स्वरूप बदलने का प्रयास जारी है। इस संबंध में गुजरात राज्य शासन का ध्यान भी आकृष्ट कराया है लेकिन गुजरात शासन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है । ऐसी स्थिति में अल्पसंख्यक जैन समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है तथा केन्द्र सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक है । पुरातत्त्व महत्व के इस For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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