Book Title: Jinabhashita 2004 08
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 31
________________ 1991 (42 ऑफ 18-09- 1991) के तहत् किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक स्वरूप को बनाए रखने से स्पष्ट निर्देश है। उपरोक्त इस अधिनियम का सीधा उल्लंघन है तथा अधिनियम की धारा 6 (3) के अधीन एक दंडनीय अपराध है। ____ हमारे संविधान में हमारी पुरातन धरोहर को भी सुरक्षित रखने का ताकि उसके स्वरूप को कोई हानि न हो इसका भी पूरा ध्यान रखा है। संविधान में पुरातत्व स्थलों के रखरखाव इत्यादि हेतु भी सन 1958 में एक अधिनियम बनाया है, जिसकी धारा (19) एवं धारा (20)के तहत किसी भी व्यक्ति, समुदाय को देश के पुरातन महत्व के स्थानों पर किसी भी तरह का बदलाव- खनन इत्यादि करना न केवल वर्जित है अपितु दंडनीय अपराध भी है। वर्तमान परिस्थितियाँ इस बात का प्रमाण है कि स्थानीय- शासन गिरनार पर्वत स्थित जैन धर्मावलम्बियों के इस पुरातन धर्मस्थल पर इन संवैधानिक नियमों अधिनियमों की पात्रता की अवहेलना कर रही है। श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ संरक्षिणी महासभा के संलग्न छाया प्रतियों से यह बात स्पष्ट है कि प्रशासन वास्तविकता से अनभिज्ञ बन रहा है, जो विश्वसनीय प्रतीत नहीं होती। ___ क्या राष्ट्र की अखंडता एकता और धर्मनिरपेक्षता की बलि पर हम तब चेतेंगे जब बाबरी मस्जिद या गोधरा जैसी निंदनीय घटनाएं हो जाएगी, परिस्थितियाँ विस्फोटक हो, उससे पहले जनहित में, राष्ट्रहित में, शासन को यथोचित कदम उठाने होंगें तथा पूर्ण निष्कर्ष निकलने तक स्थितियाँ यथावत रखनी होगी। ___ जैन धर्म में अनादिकाल से अकाट्य प्रमाणिक प्रमाण जो इसके अति प्राचीन होने की पुष्टी करते है। ऐसे में 22वें तीर्थकर नेमिनाथ भगवान की निर्वाण भूमि जूनागढ़ गिरनार पर्वत स्थित पाँचवी टोंक एवं चौथी टोंक के मूलभूत स्वरूप के परिवर्तन की अनाधिकृत चेष्टा, क्या अल्पसंख्यक जैन समुदाय के साथ अनुचित असंवैधानिक प्रतीत नहीं होती? ____ अहिंसा परमो:धर्म के अनुयायी शांति प्रिय जैन समुदाय को देश में गौरव और प्रतिष्ठा के साथ तथा अपने धार्मिक अस्तित्व एवं धर्मस्थलों को सम्मानपूर्वक एवं श्रद्धापूर्वक बनाए रखने का अधिकार प्राप्त है। गिरनार पर्वत पर होने वाले इस निंदनीय कार्य को एवं इसके मूलभूत स्वरूप को बदलने की कुचेष्टा पर अविलम्ब नियंत्रण एवं रोक लगा उसे यथावत स्थिति में रखे रहने का तत्वरित आदेश दिया जाए एवं जो छतरी गिर गई है उसे जैन धर्मावलम्बी प्रतिनिधि संस्था द्वारा धार्मिक रीति रिवाज से उसके जीर्णोद्वार के आदेश भी दिए जाए ताकि पुरातन महत्व की धरोहर सुरक्षित बनी रहे। उक्त कार्यवाही से भारतीय गणतंत्र की संवैधानिकता पर उठ रहे अविश्वास को विराम मिलेगा। जो राष्ट्र हित एवं देश की अखंडता के लिए सर्वोपरि है। आयोग की अनुशंसा मध्यप्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग जैन समुदाय की धार्मिक भावनाओं एवं आस्थाओं को दृष्टिगत रखते हुए गुजरात राज्य में जूनागढ़ पर्वत माला पर स्थित गिरनार पर्वत पर विराजमान जैन समुदाय के 22 वें तीर्थकर नेमिनाथ भगवान की पांचवी एवं चौथी टोंक के मूलभूत स्वरूप के परिर्वतन करने की कुचेष्टा एवं अनाधिकृत निर्माण कार्यों को तत्काल हटाने की अनुशंसा करता है, तथा समयबद्ध निश्चित सीमा में उसका जीर्णोद्धार, मरम्मत आदि कराकर जैन समुदाय की प्रतिनिधि संस्था को उनकी प्राचीन धरोहर सुरक्षित करने हेतु यथोचित निर्णय दिए जाने की अनुशंसा करता है, ताकि धर्मावलम्बी बंधुओं की देखरेख में समुदाय अपने धार्मिक अनुष्ठान पूजा अर्चना कर, इस उपासना स्थल के मूलस्वरुप को नष्ट होने से बचा सके। आपका 153 (अरुण जैन) सदस्य म.प्र. अल्पसंख्यक आयोग 800, गोल बाजार, जबलपुर - 482002 संलग्न: यथोपरि पत्र की छायाप्रतियाँ। अगस्त 2004 जिन भाषित 29 www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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