Book Title: Jinabhashita 2002 05
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 31
________________ इस सफलता पर बधाई देते हुए पुरस्कृत किया। उन्हें चन्दन पर उत्कीर्ण प्रशस्त्रिपत्र तथा अष्टधातु से निर्मित मनमोहक डॉ. सौरभ जैन, | 'प्रतीक' एवं सम्माननिधि समर्पित कर भगवान् महावीर स्वामी के मैनपुरी 2600वें जन्मकल्याणक वर्ष के उपलक्ष्य में सम्मानित किया गया डॉ. अनुपम जैन "जैन राष्ट्र गौरव' पदवी से । अलंकृत स्थानीय गणमान्य नागरिकों, शिक्षाशास्त्रियों, साहित्यकारों भगवान् महावीर के 2600वें जन्म जयन्ती महोत्सव वर्ष तथा विभिन्न संस्थाओं ने भी डॉ. जैन को इस अलंकरण से विभूषित की समापन बेला पर कोलकाता में इन्दौर के विशिष्ट प्रतिभावान किए जाने पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए बधाइयाँ समर्पित कर युवा विद्वान होल्कर महाविद्यालय के गणित प्राध्यापक एवं कुन्दकुन्द अभिनन्दित किया है। वीरेन्द्र कुमार इटोरिया, ज्ञानपीठ के मानद् सचिव डॉ. अनुपम जैन को 'जैन राष्ट्र गौरव' अध्यक्ष, जैन पंचायत, दमोह की पदवी से अलंकृत किया गया। अखिल भारतीय दिगम्बर जैन प्रतिभा सम्मान समारोह कुण्डलपुर में राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न समिति कोलकाता द्वारा विज्ञान नगरी सभागार में आयोजित एक भगवान् महावीर स्वामी के 2600वें जन्म जयंती वर्ष एवं भव्य समारोह में डॉ. अनुपम जैन को राष्ट्र एवं समाज निर्माण में | जैन मनीषी, मूर्धन्य विद्वान्, राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत स्व.पं.(डॉ.) जैन गणित की विधा में विशिष्ट उपलब्धि हेतु उक्त सम्मान प्रदान पन्नालाल जैन साहित्याचार्य, सागर की प्रथम पुण्यतिथि के प्रसंग किया गया । इस हेतु उन्हें प्रतीक चिह्न (अष्ट धातु का मानस्तम्भ), पर नवीन प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय काष्ठांकित प्रशस्ति पत्र तथा शाल, श्रीफल आदि भेंट कर सम्मानित | संगोष्ठी का आयोजन सर्वोदय जैन विद्यापीठ, सागर के तत्त्वावधान किया गया। में श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर, दमोह में 28 एवं 29 डॉ. जैन सहित संपूर्ण देश के कला, संस्कृति, पुरातत्त्व, मार्च 2002 को किया गया। इस संगोष्ठी में अनेक प्रान्तों के विद्वान, पत्रकार, लेखक, कवि, गीत-संगीतकार, वैज्ञानिक, प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों, अतिथि एवं श्रोताओं ने चिकित्सक व चित्रकार आदि विभिन्न विशिष्ट चयनित प्रतिभावान इस संगोष्ठी से भरपूर लाभ लेते हुए इस प्रकार के आयोजनों की 26 जैन पुरुष/महिलाओं को भी सम्मानित किया गया। प्रति वर्ष योजना करने की माँग की। समारोह के प्रमुख अतिथि पश्चिम बंगाल के पर्यटन व संगोष्ठी का प्रथम एवं उद्घाटन सत्र दोपहर 2 बजे आरंभ संस्कृति मंत्री श्री सुभाष चक्रवर्ती तथा विशिष्ट अतिथि झारखण्ड । हुआ। कुण्डलपुर के विद्याभवन नामक विशाल सभागार में भव्य के जल संसाधन मंत्री श्री रामचन्द्र केसरी थे। समारोह में देश के साज-सज्जा से सुशोभित मंच पर जनाराध्य बड़े बाबा के साथ शीर्षस्थ विद्वान व समाजसेवीगण बड़ी संख्या में सम्मिलित थे।। छोटे बाबा (आचार्य विद्यासागर जी महाराज) के भव्यचित्र सभा का संचालन संयोजक श्री चिरंजीलाल बगड़ा ने किया। प्रतिनियोजित किये गए थे। इसके साथ स्व. पं. पन्नालाल डॉ. जैन की इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर नगर के समाजसेवी साहित्याचार्य की, अपनी लेखनी से जीवन्त करने वाली प्रतिच्छवि पदाश्री बाबूलाल पाटौदी, श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल, श्री भी वहाँ स्थान पा रही थी। हीरालाल झांझरी, श्री कैलाश वेद, श्री माणिकचन्द्र पाटनी, श्री सत्रारम्भ में वरिष्ठ समाजसेवी एवं विचारक श्री विजयकुमार कैलाशचन्द्र चौधरी, श्री प्रदीपकुमार सिंह कासलीवाल, श्री अशोक मलैया, दमोह ने अध्यक्षता तथा प्रसिद्ध चिकित्सक एवं समाजसेवी बड़जात्या, प्राचार्य श्री नरेन्द्र धाकड़, श्री जयसेन जैन व श्री रमेश व राजनेता डॉ. जीवनलाल जैन, सागर ने अतिथि का आसन ग्रहण कासलीवाल आदि ने हार्दिक बधाइयाँ दी हैं। किया। तदनन्तर सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ. रतनचन्द्र जैन, भोपाल एवं जयसेन जैन प्रचार सचिव डॉ. भागचन्द्र भागेन्दु, दमोह ने विषय-विशेषज्ञ के कार्यों का डॉ. भागेन्दु "जैन राष्ट्र गौरव" अलंकरण से सम्पादन किया। दीप प्रज्वलन एवं चित्रानावरण के अनन्तर डी.राकेश जैन विभूषित सर्वोदय जैन विद्यापीठ एवं डॉ. पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य का साइंस सिटी आडोटोरियम कोलकाता में सम्पन्न एक भव्य परिचय देते हुए संगोष्ठी के विषय का प्रवर्तन किया। आपने बताया समारोह में अखिल भारतीय दिगम्बर जैन प्रतिभा सम्मान समारोह कि सर्वोदय जैन विद्यापीठ उच्चशिक्षा एवं सांस्कृतिक शिक्षा का समिति कोलकाता की ओर से रीठी (कटनी) में 2 अप्रैल 1937 महत्त्वपूर्ण केन्द्र बनाने के संकल्प के साथ उदित हुई है, जिसमें को जन्मे प्रोफेसर डॉ. भागचन्द्र जी (भागेन्दु) को सर्वश्रेष्ठ विद्वत्ता निरन्तर इस प्रकार की गतिविधियों का संचालन होता रहेगा। के लिए "जैन राष्ट्र गौरव" अलंकरण से विभूषित किया गया। विषयप्रवर्तन में जैन संस्कृति एवं साहित्य की वर्तमान दशा एवं "जैन राष्ट्र गौरव" अलंकरण डॉ. भागेन्दु जी जैन को उनकी अतिविशिष्ट विद्वत्ता तथा राष्ट एवं समाज निर्माण में अग्रणी उसमें निहित अनन्त संभावनाओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने भूमिका का निर्वहण करने के उपलक्ष्य में समर्पित किया गया।। कहा कि इन पर अनुसन्धान करने से जैन वाङ्मय के अवदान को -मई 2002 जिनभाषित 29 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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