Book Title: Jinabhashita 2002 05
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 34
________________ माताजी की प्रेरणा से स्थापित तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ | (महामस्तकाभिषेक) तथा इनके आशीर्वाद से नवनिर्मित दिगम्बर जम्बूद्वीप हस्तिनापुर द्वारा एक अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिता | जैन ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र में पधारने हेतु श्रेष्ठी श्री निर्मलचंद सोनी, आयोजित की जा रही है। निबंध प्रतियोगिता का विषय होगा - केन्द्रीय उपाध्यक्ष, महासभा एवं ट्रस्टी श्री सिद्धकूट चैत्यालय, "भगवान् महावीर की जन्मस्थली कुण्डलपुर (नालंदा) या युवा ट्रस्टी श्री प्रमोद चंद सोनी, भागचन्द गदिया अध्यक्ष ज्ञानोदय वैशाली? दिगम्बर जैन आगम के परिप्रेक्ष्य में" निबंध प्रतियोगिता तीर्थक्षेत्र कमेटी, ज्ञानंचद जैन किरण बेटरी अध्यक्ष, जैसवाल जैन के नियम निम्नानुसार होंगे समाज के अलावा ब्यावर, मदनगंज, नसीराबाद, केकडी आदि (1) प्रतियोगिता समस्त आयु वर्ग के बालक/बालिका | अजमेर जिले के धर्मानुरागी बन्धुओं के एक शिष्टमंडल ने आचार्य अथवा महिला/पुरुषों के लिए खुली है। जैन या जैनेतर कोई भी | श्री को नसुरुल्लागंज (म.प्र.) में श्रीफल समर्पित किया एवं आचार्य सम्मिलित हो सकता है। श्री का मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री ससंघ में करीबन (2) निबंध कम से कम (फुल स्केप आकार के) 4 पृष्ठों | 45 पीच्छिकाएँ साथ में हैं। में होना चाहिए। . इसी शिष्ट मण्डल ने चाँदखेड़ी में विराजित प.पू. मुनि (3) निबंध टंकित अथवा सुवाच्य अक्षरों में पृष्ठ के एक | पुंगव 108 श्री सुधासागर जी महाराज संसघ को भी उपर्युक्त कार्यों ओर ही लिखा जाना आवश्यक है। के लिये अजमेर पधारने एवं सान्निध्य प्रदान करने हेतु श्रीफल (4) प्रस्तुत विषय पर अपना पक्ष ठोस आधार पर पुष्ट | समर्पित किया। दिनाँक 3 मई को प्रभात में मुनिश्री के पावन प्रमाणों सहित प्रतिपादित करने का प्रयास करें। समस्त सन्दर्भ | सान्निध्य में चाँदखेड़ी वाले बाबा भगवान आदिनाथ के मंगल लेख के अन्त में देवें। कलश एवं मुनि श्री के श्रीमुख से वृहद् शान्तिधारा का सौभाग्य (5) निबंध भेजने की अंतिम तिथि 30 जून 2002 निश्चित | अर्जित किया। प्रथम कलश करने का सौभाग्य अजमेर के श्री की गई है। निर्धारित तिथि के पश्चात् प्राप्त होने वाले निबंध, | दुलीचन्द कोहले भंडारी ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र ने अर्जित किया। प्रतियोगिता में सम्मिलित करना संभव नहीं होगा। सहप्रचार प्रसार संयोजक हीराचन्द जैन ने बतलाया कि (6) प्राप्त निबंधों का मूल्यांकन प्रतिष्ठित विद्वानों के दल | आचार्यश्री ससंघ आज दिनाँक 4 मई को सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर द्वारा किया जावेगा। प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले | पहुँच गए हैं और ग्रीष्मकालीन वाचना हेतु करीब दो माह तक प्रतियोगीगणों को क्रमश: 5000/-, 3000/- व 2000/- रुपये | वहीं विराजित रहेंगे। बाहर से पधारने वालों के लिये आवास व का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। सांत्वना पुरस्कारों की भी व्यवस्था | भोजन की सुव्यवस्था वहीं पर उपलब्ध है। हीराचन्द्र जैन ___(7) महासंघ द्वारा गठित निर्णायक मंडल का निर्णय सहप्रचार प्रसार संयोजक अंतिम व सर्वमान्य होगा। अहिंसा रंगोली (8) प्रतियोगिता के विषय में नियमों को संशोधित/ भगवान् महावीर के 2600वें जन्म कल्याणक महोत्सव परिवर्तित/परिवर्द्धित करने अथवा स्थगित करने एवं अन्य समस्त | पर लोक कला संस्थान के श्री संजय सेठी ने ऋषभदेव भगवान के विषयों में महासंघ का निर्णय अन्तिम एवं बन्धनकारी होगा। । सामने चित्ताकर्षक अहिंसा रंगोली में जैन दर्शन एवं भगवान् (9) निबंध के मुखपृष्ठ पर प्रतियोगी का पूरा नाम एवं | महावीर के सिद्धान्तों को रेखांकित करने के लिये 25 दीपक, 206 पता अंकित किया जाना चाहिए। निबंध संयोजक के पते पर काष्ट के चम्मच, 2600 माचिस की तिलियाँ एवं 26000 चावल इन्दौर ही भेजे जाने चाहिए। के दानों का इस्तेमाल किया गया। इस रंगोली को देखने के लिये संयोजक द्वय : 1. जयसेन जैन, 201, अमित अपार्टमेन्ट, | अपार जनसमूह एकत्रित हुआ एवं सभी ने इसकी भारी प्रशंसा 1/1, पारसी मोहल्ला, छावनी, इन्दौर-452 001, (म.प्र.), सम्पर्क: | की। 0731-7000201 हीराचन्द्र जैन 2. डॉ. अभय प्रकाश जैन N-14, चेतकपुरी, ग्वालियर- | मुहारा में भगवान् आदिनाथ जन्मोत्सव आयोजित 474009, सम्पर्क :- 0751-324392 । जतारा (टीकमगढ़ म.प्र.)। संत शिरोमणि, प्रातः स्मरणीय जयसेन जैन परमपूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य परमपूज्य अ.भा.दिगम्बर जैन ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र । ऐलक श्री नम्रसागर जी महाराज के मंगलमय सान्निध्य में जतारा अजमेर, 4 मई 2002। संत शिरोमणि आचार्य 108 श्री के निकट स्थित ग्राम मुहारा में दिनाँक 6.4.2002 (चैत्र कृष्णा 9, विद्यासागरजी महाराज ससंघ को श्री सिद्धकूट चैत्यालय सोनीजी | शनिवार) को जैन जगत के प्रथम तीर्थकर भगवान श्री आदिनाथ) की नसियां में होने वाले जीर्णोद्धार एवं यहाँ पर स्थित जैन विश्व के | का जन्म जयंती समारोह मुहारा जैन समाज के तत्त्वावधान में सबसे बड़े मानस्तम्भ के स्वर्ण जयन्ती महोत्सव | अनेक मांगलिक कार्यक्रमों के साथ उत्साहपूर्वक मनाया गया। 32 मई 2002 जिनभाषित - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36