Book Title: Jin Shasanna Mahapurushona Jivan Prasango
Author(s): 
Publisher: Bhuvanbhanusuri

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Page 16
________________ इलाची कुमार आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी महाराज राजा मुंज इलाची कुमार (स्वदोषदर्शन) (१) ब्राह्मण ब्राह्मणीनें दीक्षा ली। ब्राह्मणी शरीर, कपडे की बहुत साफसफाई करते रहने से और जातिमद करने पर भी (२) दोनों ने संयम का फल स्वर्ग सुख पाया (३) तीसरे भव में इलाची कुमार और नर्तकी बने नाचती नर्तकी को एक दिन देख कुमार मोहित हुआ। माँ-बापने बहुत समझाने पर भी उसके साथ चला और नाचना सीखा। (४) एक नगर में राजा-रानी और बहुत लोगों के आगे पैसे के लिए वह न मिले तब तक नाचता है। नर्तकी पर मोहित राजा दान नहीं देता, वह चाहता है 'यह नाचते हुओ गिर पड़े, मर जाय तो नटी मुझे मिले' नाचते इलाची कुमारने दान देने वाली स्त्री के आगे खड़े हुए शांत मुनि को देख अपनी स्त्रीलंपटता का धिक्कार और मुनिकी अविकारिता की प्रशंसा करते केवलज्ञान पाया, देशना दी। पूर्वभव सुनकर नटीने अपने अनर्थ कारक रूपको धिक्कारते हुए और राजा-रानी नें भोग- लालसा को धिक्कारते हुए केवल ज्ञान प्राप्त किया। राजा मुंज (स्त्रीलंपटता) (१) मुंज राजा "यह राज ले लेगा" इस डर से भोज को मरवाता है। भोज का लिख भेजा हुआ राज्य आदि की अनित्यता सूचक श्लोक पढ़कर मुंज भोज को राज्य दे देता है। (२) युद्ध में पराजित मुंज तैलंग राजा का कैदी तथा मृणालवती (तैलंग की बहन) पर अनुरक्त (३) भोजनें भूमिगृह बनवाकर मुंज को गुप्ततया चले आने का संकेत किया। (४) मुंज ने मृणालवती से और उसनें राजा से बात कह दी। मुंज के हाथ-पांव में जंजीरें डलवाई गई और भीख माँग कर खाने का हुकम हुआ। "स्त्री के प्रेम में फँसने से मेरी यह दशा हुई, वैसी ही लोगों की समझे।" इस तरह मुंज लोगों को पुकार पुकार कर कहता हुआ भीख माँगता है।

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