Book Title: Jin Shasanna Mahapurushona Jivan Prasango
Author(s): 
Publisher: Bhuvanbhanusuri

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Page 15
________________ अतिमुक्तक अतिमुक्तक (अइमत्ता) (पूर्व संस्कार) (१) छ: साल के अतिमुक्तक गौतम स्वामी को मोदक बेहराते हैं। (२) बाद में साथ जाते हैं, ज्यादा बोझ देखकर पात्रा पकडने को माँगा। गौतम - "दीक्षा लो तब दीया जाय"। (३) दीक्षा ली। स्थंडिल गये, वहाँ बरसात का बहता पानी देख मिट्टी की पाल बांध कर छोटा पात्रा तिराते बडी खुशी से नाचने कूदने लगे। साधुओं ने ऐसा न करने को कहा। साधु जाकर भग.से कहते है "अप्काय का हिंसक जीवरक्षा कैसे करेगा? भग. "इसका ऐसा तिरस्कार मत करो, यह तुम से पहले केवली होगा" यह सुनकर उन्होंने क्षमा माँगी। (४) एक बार स्थंडिल से लौटते वक्त बालकों को पानी में पत्तों की नाव बनाकर तैराते, खेलते देखा। अपनी पहले की जल-क्रीडा याद आने से (५) समयसरण में इरिया-वहिय (पणग, दग, मट्टी.) बोलते तीव्र पश्चाताप होने से ९ वें वर्ष में केवल ज्ञान और मुक्ति। आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी महाराज

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