Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi Author(s): Jambuvijay Publisher: Motilal Banarasidas View full book textPage 2
________________ यह विश्व के सुप्रसिद्ध और दुष्प्राप जैसलमेर के प्राचीन ग्रंथों का सूचीपत्र है। जैसलमेर के सभी प्राचीन ग्रंथभंडारों के ग्रंथों की सूची इसमें प्रथम बार एक साथ प्रकाशित की गई है। यह सूचीपत्र निम्न कारणों से अद्वितीय है। १. २. ३. ". ६. ७. विश्व के अति प्राचीन ग्रंथों का जैसलमेर स्थित बड़ा संग्रह इसमें संलग्न है। ताडपत्रीय पाण्डुलिपियाँ एवं कागज पर लिखी पांडुलिपियाँ इसमें संग्रहित हैं। जिनभद्रसूरि भंडार के ताडपत्रीय ग्रंथ एवं कागज पर लिखी पांडुलिपियों के अतिरिक्त और ५ ज्ञान भंडारों की सूची हर भंडार के नाम से जो प्रकाशित नहीं हुई थी वह इसके द्वारा पहली बार प्रकाशित की गई है। आज तक प्रकाशित सूचीपत्रों में से सभी विशेष बातें इसमें उद्धृत करके दी गई हैं। ताडपत्रीय एवं कागज के सभी ग्रंथों को अकारादि क्रम से सूची दी गई है। लेखनसंवत्वार, रचनासंवत्वार तथा कर्तावार 6. सूची भी अकारादि क्रम से दी गई है। प्राचीन वर्णमाला को पढ़ने का तरीका तथा प्राचीन वर्णमाला का कोष्ठक दिया गया है। 'संख्या सूचक शब्द' संकेत द्वारा प्राचीन संवत् पढ़ने का तरीका बताया है। देवनागरी वर्णों को रोमन वर्णों में परिवर्तित करने के लिए कोष्ठक दिया गया है। उपरोक्त सभी बातें इस एक ही ग्रंथ में समाविष्ट होने से इतिहासकारों के लिए भी यह एक उपयुक्त ग्रंथ है। ISBN: 81-208-1742-7 Jain Education International Rs. 1500 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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