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२. ३७. १२ ]
हिन्दी अनुवाद पराधीनताका उल्लंघन कर सके ? पशु एक दूसरेका आहार कर मर जाते हैं। बहुतसे स्थावर और जंगम जीव वर्गका मनुष्य और तिर्यंच नित्य भक्षण करते हैं । बहुतसे विकलेन्द्रिय व पंचेन्द्रिय जीव परस्पर एक दूसरेको खाते हैं, इसमें कोई भ्रान्ति नहीं। उस क्रूर तरक्षने मुझे मारा और मैंने उस कालसर्पका संहार किया । हे राजन् मारिदत्त ! तुमने, स्वयं देख लिया कि मैंने कितने दुस्सह दुःखका अनुभव किया है।
इस प्रकार मैंने तुम्हें अपनी बात बतला दो और तुमने उसे सुन भी लिया। अब यदि तुम हिंसाका परित्याग कर दो और अपने अहंकारको छोड़ दो तो पुष्पदन्तके समान परमपदको प्राप्त कर सकते हो ॥३७॥
इति महाकवि पुष्पदन्त विरचित महामन्त्री नन्दके कर्णामरण यशोधर महाराज चरित्र नामक महाकाव्यमें यशोधर और चन्द्रमतीके भवान्तर वर्णन नामक
द्वितीय सन्धि-परिच्छेद समाप्त ॥ २ ॥
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