Book Title: Jambudwip Pragnapti Sutra Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh View full book textPage 6
________________ . [5] बारह उपांगों में जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सूत्र पांचवां उपांग है। यह स्थविर भगवंत द्वारा रचित है। चार अनुयोगों में जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति का समावेश गणितानुयोग में किया जाता है। इसमें मुख्यतया गणित-सम्बद्ध वर्णन है। यह सूत्र सात वक्षस्कारों में विभक्त है। जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति नामक इस पंचम उपांग सूत्र में जंबूद्वीप के क्षेत्र, पर्वत, द्रह, नदियाँ, कूट, कालचक्र ऋषभदेव भगवान् तथा भरत चक्रवर्ती का जीवन चरित्र, ज्योतिषी चक्र आदि का विस्तार से वर्णन है। यह कालिक सूत्र है। इसमें १० अधिकार हैं। जिनमें नीचे लिखे विषय वर्णित हैं - १. भरत क्षेत्र का अधिकार - जम्बूद्वीप का संस्थान व जगती। द्वारों का अन्तर। भरत क्षेत्र, वैताढ्य पर्वत व ऋषभकूट का वर्णन। २. काल का अधिकार - उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल का वर्णन। काल का प्रमाण (गणित भाग) समय से १६८ अङ्कों तक का गणित। पहले, दूसरे तथा तीसरे आरे का वर्णन। भगवान् ऋषभदेव का अधिकार। निर्वाण महोत्सव। चौथे आरे का वर्णन। पांचवें और छठे आरे का वर्णन। उत्सर्पिणी काल। - ३. चक्रवर्त्यधिकार - विनीता नगरी का वर्णन। चक्रवर्ती के शरीर का वर्णन। चक्ररत्न की उत्पत्ति। दिग्विजय के लिए प्रस्थान। मागधदेव, वरदामदेव, प्रभासदेव और सिन्धुदेवी का साधन। वैताढ्य गिरि के देव का साधन। दक्षिण सिन्धु खण्ड पर विजय। तिमिस्र गुफा के द्वारों का खुलना। गुफा प्रवेश, मण्डल लेखन। उन्मग्नजला और निमग्नजला नदियों का वर्णन। आपात नाम वाले किरात राजाओं पर विजय। चुल्लहिमवन्त पर्वत के देव का आराधन। ऋषभकूट पर नामलेखन। नमि तथा विनमि पर विजय। गङ्गा देवी का आराधन। खण्डप्रपात विजय नृत्यमालदेव का आराधन। नौ निधियों का आराधन। विनीता नगरी में प्रवेश। राज्यारोहण महोत्सव। चक्रवर्ती की ऋद्धि। शीशमहल में वैराग्य और कैवल्य प्राप्ति। १. क्षेत्रवर्षधरों का अधिकार - चुल्लहिमवन्त पर्वत, हैमवत क्षेत्र, महाहिमवन्त पर्वत, हरिवर्ष क्षेत्र, निषध पर्वत, महाविदेह क्षेत्र, गन्धमादन गजदन्ता पर्वत, उत्तरकुरु क्षेत्र, यमक पर्वत Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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