Book Title: Jambudwip Part 04
Author(s): Vardhaman Jain Pedhi
Publisher: Vardhaman Jain Pedhi

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Page 135
________________ (14) बार-बार 'केपकेनेडी' की विज्ञप्ति क्यों कि चाँद पर जब वातावरण ही नहीं में कहा गया कि चन्द्रमा की बनावट पृथ्वी तो कीटाणु की भयजनक कल्पना उठी जैसी है, इससे यह स्पष्ट हैं कि वह पृथ्वी ही करो ? का कोई अज्ञात हिस्सा है' यहां एपोलो पहुचा। (18) चांद से लाई गई मिट्टी या चट्टानों .. (15) एक तरफ यह कहा जाता है कि के टकडों की बनावट भी पृथ्वी की मिट्टी 'चांट हवा से रहित है । वहाँ वो एवं चटानों के टकडों जैसी बतलाई जाती है। इत्यादि नहीं होती, पानी भी नहीं हैं परन्तु ___ अतः स्पष्ट होता है कि 'एपोलो चाँद कपकेनेडी' की घोषणा अनुसार 5 य! 6 इन्च नीचे गीली मिट्टी पाई गई ।' यह स्पष्ट पर नही पहुचा ।' बताता है कि वे 'चांद पर नहीं पहुचे ।' (19) जिस समय एपोलो भेजा गया (16) चन्द्र पर वातावरण नहीं होने का उस समय वह विषुववृत्त रेखा से 7 डिग्री दावा वैज्ञानिक करते है। पर रवाना हुआ था, उस समय चंद्रमा 27 .. सूर्य का प्रकाश अति तीव्र होता है तो डिग्री पर था, इतना फर्क चन्द्र और पृथ्वी 6:इन्च की नीचे मिट्टी का गीलापन संभा- में था, फिर 'एपोलो चाँद पर कैसे पहुंचा ?' पित नहीं हैं, परन्तु 'केपकेनेडी' संस्थान ने (20) कोई भी एपोलो यान ने आज चन्द्र मिट्टी का 6 इन्च के नीचे गीलापन तक पृथ्वी की उत्तर-दक्षिण से परिक्रमा नहीं बताया है। की, सभी यान, पूर्व से पश्चिम को गए, यह इससे साबित होता है कि 'वहां वाता स्पष्ट बताता है कि 190 मील की ऊंचाई वरण हैं और अगर वातावरण है तो वह पर एपोलो यान पहुंचने पर वह पूर्व दिशा चंद्रमा नहीं है ।' ओर तिरछे ढाई लाख मील गया । (17) एपोलो 11 के यात्रियों को पृथ्वी पर आने पर 15 रोज तक पृथक् रखा गया (21) एपोलो यान 12 जब वापिस ताकि कोई कीटाणु दूसरे लोगों को नहीं दोई की दो लोगों को नही आया तब यान के अन्दर धूल, कंकड इतने उडने लगे कि यात्रियों का दम घुटने लगा, लग सके । अपोलो 12 भेजने के बाद उन्होंने यह तव गोली खाने का आदेश दिया गया, 'वेक्युम स्पष्ट घोषणा कर दी कि में जब हवा ही नहीं है तो यान के अन्दर .' उनमें कोई कीटाणु नहीं लगे । 'अतएव इस तरह धूल आदि कसे उडने लगी इससे भविष्य में यात्रियों को अलग नहीं रखा स्पष्ट है कि वे पृथ्वी के किसी अज्ञात स्थान जाएगा।' पर पहुचे ।' यह स्पष्ट बताता है कि वे चाँद पर (22) चन्द्रलोक पर बहुत ही अधिक नहीं पहुचे, परन्तु पृथ्वी के किसी अज्ञात ठंड होना वैज्ञानिकों ने बताया कि वहां मनुष्य हिस्से में ही पहुंचे है। का ठहरना सम्भव नहीं, तो इसका तात्पर्य Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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