Book Title: Jainism Course Part 02
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

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Page 186
________________ (12) शिखरी पर्वत इसके पुंडरिक द्रह पर तथा कूट पर (13) ऐरावत क्षेत्र कुल - 2 शा.चैत्य×120 = 240 प्रतिमाजी इसके रक्ता-रक्तवती नदी के प्रपात कुण्ड में वैताढ्य पर्वत के कूट पर महाविदेह क्षेत्र में कुल - 3 शा. चैत्य x 120 = 360 प्रतिमाजी संक्षेप में महाविदेह सिवाय 6 क्षेत्रों में 3 शा. चैत्य = 6x3 - 6 कुल गिरि पर्वत पर - 2 शा. चैत्य = 6x2 देवकुरु में उत्तर कुरु में मेरु पर्वत पर पूर्व विदेह में पश्चिम विदेह में कुल 635×120 = 76200 प्रतिमाजी है। कर्मभूमि में शा . चैत्य. अकर्म भूमि में शा. चैत्य 6 पर्वत पर पर्वत के ऊपर के शा. चैत्य 34 दीर्घ वैताढ्य के 4 वृत्त वैताढ्य के 6 कुलधर के नदी के शा. चै. 34 महानदी के कुंड के 4 6 कुल कुल कुल कुल 1 शा.चैत्य 1 शा. चैत्य 2 शा. चैत्य 18 शा. चैत्य 12 शा. चैत्य - 228 शा. चैत्य - 2. शा. चैत्य 1 शा. चैत्य 3 शा. चैत्य - 228 शा. चैत्य 25 शा. चैत्य 62 शा. चैत्य 62 शा. चैत्य - 635 शा. चैत्य - - 155 शा. चैत्य - 468 शा. चैत्य 12 शा. चैत्य - 635 शा. चैत्य 90

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