Book Title: Jain Yug 1937
Author(s): Mohanlal Dipchand Chokshi
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 69
________________ 1.1-12-1८३७. जैन युग. श्री जैन श्वेतांचर कॉन्फरन्स. श्री कॉन्फरन्स केळवणी प्रचार केन्द्रस्थ समिति. स्थानिक ममितिने मूचनाओ. [स्थानि समितिए एकत्र करेलां अने केन्द्रस्थ समिति पासेथी मळेलां नाणांनो शी रीते उपयोग करवो तेने . लगती मूचनाओ.] १. आ योजनाओनो उद्देश हाइस्कुलना मेट्रिक सुधीनां धोरणो तेमज सामान्य औद्योगिक केळवणीना क्षेत्र सुधीज पहोंचबानो छे तेथी कोलेजनुं के एवं बीजं उचं शिक्षण लेता विद्यार्थीओने मदद आपवा माटे आ योजनामां जग पण अवकाश नथी. आ योजनानी हेतु व्यक्तिगत मदद आपवानो छे तेथी आ योजना निमित्ते एकत्र थयेला द्रव्यनो उपयोग कोई पण केळवणोनो संस्थाने मदद आपवामां थई शकशे नहि. ३. व्यक्तिगत मदद त्रण प्रकारे आपबानी छे (१) पाठ्य पुस्तको, (२) फी अने (३) नानी शिष्यवृत्तिओ. पाठ्य पुस्तकोनी मदद एवी व्यवस्थापूर्वक अपावी जोइए के जे विद्यार्थीने पाठ्य पुस्तको आपवामां आवे ते संभाळीने वापरे अने खप पूरी थये स्थानिक समितिने सुप्रत कर के जेथी एना ए पुस्तको पछीना विद्यार्थीओने काम लागे. शिष्यवृत्तिओ ए दृष्टिए आपवानी छे के जेना टेकाथी विद्यार्थीना मा-बाप विद्यार्थीनु भणतर मात्र गरीबाइना कारणे अटकावीने तेने बहु नानो उम्मरे महेनत मजुरीमा जोडी देवा मांगता होय ते तेम करतां अटके अने पोताना बाळकर्नु भणतर चालु रावे. ४. ज्यां आर्थिक सगवड ओछी होय अने स्थानिक केळवणोनी जरुरीयातो वधार होय त्यां नीचेना घोरणे स्थानिक जरुरीयाताने पसंदगी आपवानी छे. (१) प्राथमिक केळवणीने सौथी पहेली पसंदगी आपवी. (२) कन्या अने कुमारी बच्चे कन्या केळवणीने प्रथम पसंदगी आपबी. (३) हाइस्कुल अने औद्योगिक केळवणी बच्चे औद्योगिक केळवणीने प्रथम पसंदगी आपवी. पाठ्य पुस्तको, फी अन शिप्यवृत्तिओ संबंधमा आ योजनानो लाभ जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संप्रदायना विद्यार्थीओनेज आपवानो छे. २०, पायधुनी, मुंबई ३. लि० सेवक, मोहनलाल भगवानदास झवेरी. ऑनररी सेक्रेटरी. श्री कॉन्फरन्स केनवणी प्रचार केन्द्रस्थ समिति.

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