Book Title: Jain Yog ka Aalochanatmak Adhyayana
Author(s): Arhatdas Bandoba Dighe
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

Previous | Next

Page 14
________________ प्रस्तुत ग्रन्थ प्रकाशन में अर्थ सहयोग दाता संस्था का परिचय श्री आत्मवल्लभ जैन स्मारक शिक्षण निधि, दिल्ली वर्तमान युग में जैन समाज के जिन त्यागी, संयमी, तपःपूत, जिन शासन दीपक आचार्यों ने समाज और देश की प्रगति के लिए अपने जीवन को निष्ठापूर्वक समर्पित किया, उनमें न्यायाम्भोनिधि, प्रातः स्मरणीय नवयुग-प्रवर्तक, जैनाचार्य श्री श्री १००८ स्व० श्रीमद् विजयानन्द सूरि (वि० सं० १८९४-१९५३ ) तथा अज्ञानतिमिरतरणि, कलिकालकल्पतरु, भारतदिवाकर, पंजाबकेसरी, युगवीर जैनाचार्य श्री श्री १००८ स्व० श्रीमद् विजयवल्लभ सूरीश्वर (वि० सं० १९२७-२०११) के नाम विशेष उल्लेखनीय और अविस्मरणीय हैं। जब वि० सं० २०११ ( ई० १९५४ ) में बम्बई में श्री विजयवल्लभ सूरिजो का देवलोकगमन हुआ, तब ही एकत्रित जनसमूह के अन्तर्हृदय से एक विचार उभर रहा था। एकाकी गुरुवल्लभ ने अपने आराध्य गुरुदेव श्रीमद् विजयानन्द सूरि के मिशन की पूर्ति के लिए अपने जीवन की आहुति दी, धर्मप्रचार और समाजसेवा के सैकड़ों महान कार्य किए। हम गुरुवल्लभ के लाखों उपकारों के ऋण से मुक्त होने के लिए क्या करें ? यह निश्चय हुआ कि उनकी पुण्यस्मृति में अखिल भारतीय स्तर पर दिल्ली में भव्य स्मारक का निर्माण किया जाए। कुछ समय बाद श्री आत्मानन्द जैन महासभा पंजाब ने इस योजना को कार्यान्वित करने का निश्चय किया। वन्दनीया साध्वी श्री शीलवती जी तथा श्री मृगावती जी का चतुर्मास उस समय अम्बाला शहर में था। उनकी ओजस्विनी प्रेरणा से श्री आत्मानन्द जैन महासभा के प्रमुख कार्यकर्ता बाबुराम जी प्लीडर, ला० खेतराम जी, श्री ज्ञानदास सीनियर सब जज, ला० सुन्दरलाल जी तथा प्रो० पृथ्वीराज जी आदि इस काम में जुट गए। किन्तु कतिपय कारणों में दिल्ली से भूमि प्राप्त करने में सफलता न मिली। श्री ज्ञानदास जी तथा श्री बाबूराम जी के निधन से कार्य में शिथिलता आ गई। समय का चक्र चलता रहा लगभग १८ वर्ष बीत गए परन्तु इस दिशा में प्रगति नहीं हो सकी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 304