Book Title: Jain Vivah Vidhi Tatha Sharda Pujan Vidhi
Author(s): Saubhagyavijay, Muktivijay
Publisher: Nandishwar Dwip

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन विवाह विधि " गम्यः, आदिमो विमृश्यः, आदिमो विम, सुरासुरनरोरगप्रणतः प्राप्तविमलकेवलो यो गीयते सकल प्राणिगणहितः दयालुः अपरापेक्षः, परात्मा परं ज्योतिः परं ब्रह्म, परमैश्वर्यभाकू परंपरः, परापरोऽपरपरः, जगदुत्तमः सर्वगः सर्ववित्, सर्वजित सवीर्यः, सर्वप्रशस्यः सर्ववन्द्यः सर्वपूज्यः, सर्वात्मा, असंसारः, अव्ययः अवार्यवीर्यः, श्रीसश्रयः, श्रेयः संश्रयः, विश्वाश्यायहृत्, संशयहृत्, विश्वसारः, निरजनः, निर्ममः, निष्कलंकः, निष्पापः, निर्मनाः, निर्वचाः, निर्देहः, निःसंशयः, निराधारः, निरवधिप्रमाणप्रमेयप्रमाता, जीवाजीवाश्रवसंवरबष्ट निर्जरामोक्षप्रकाशकः, स एव भगवान् शांति करोतु तुष्टिं करोतु पुष्टिं करोतु वृॠि करोतु सुखं करोतु श्रियं करोतु लक्ष्मी करोतु अर्ह ॐ । इस तरह मंत्र बोलते जब वरघोड़ा कन्या के वहां आ पहुंचे उसके पहले ही कन्या को मातृगृह ( कन्या की माता का घर) में स्नान कराकर कपड़े और गहने पहना कर तैयार रखें । इधर वर के आने पर उसको घर के दरवाजे के अगाडी पट्टे पर खडा रखे बाद में कन्या की माता वहां आकर अर्ध्यप्रदान करें । इसके बाद झेरणा घूँसरा इंडीपीडी वगैरह लेकर वर को पोंखे पोछे वर के प्रवेश करते दाहिनी ( जीमणी) तरफ शराब यानी कोडाये में अंगारा लूंण अथवा कपासिये या चावल डाल कर उसके ऊपर दूसरा शराब (कोडाया) ऊंधा रखकर उसके मोली लपेट कर रखे वर उसको दाहिने पावं से दबाता हुआ भीतर प्रवेश करे उस वक्त कन्या की माता वर के गले में लाल कपडा तथा वरमाला डाले और वर को घर के भीतर ले जाकर पूर्व सन्मुख कन्या की बायी तरफ मंचे पर बिठावे, वहां पर धूप शुरू रखे अब हस्तमिलाप के मुहुर्त की देरी हो तो उतनी वक्त क्रिया कारक नीचे मुजब मंगलिक स्तोत्र पढें । For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26