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__ जैन विवाह विधि भगवती सूत्रे कर नमी, बंभी लिपि जयकार । लोक लोकोत्तर सुख भणी, भाषा लिपि अढार ।।३।। वीरप्रभु सुखिया थया, दीवाली दिन सार । अन्तमुहूर्त तत्क्षणे, सुखियो सहु संसार ।।४।। केवलज्ञान लहे तदा, श्री गौतम गणधार । सुरनर हरख धरी प्रभु, करे अभिषेक उद्धार ।।५।। सुरनर परषदा आगले, भाषे श्रीश्रुतनाण । नाण थकी जब जाणिये, द्रव्यदिक चोठोण ।।६।। ते श्रुतज्ञानने पूजिये, दीप धूप मनोहार । वीर आगम अविचल रही वरस एकवीस हजार ।।७।।
।। इति श्री शारदा पूजन विधि सम्पूर्ण ।।
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