Book Title: Jain Vivah Vidhi Tatha Sharda Pujan Vidhi
Author(s): Saubhagyavijay, Muktivijay
Publisher: Nandishwar Dwip

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (6 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन विवाह विधि होम का सामान समी (खेजड़ी), पीपला, केथ, इन्द्रजव बीली, आम इनमें से जो मिले उसका काष्ट इसके सिवाय घी सुपारी जौ और तिल । वेदिका प्रतिष्ठा मंत्र ॐ नमः क्षेत्रदेवतायै शिवायै क्षां क्षीं क्षं क्षौ क्षः इस विवाह मंडपे आगच्छ २ इह बलि परिभोगं गृहाण २ भोगं देहि २ सुखं देहि यशो देहि सन्ततिं देहि ऋद्धि देहि वृद्धि देहि सर्वसमीहितं देहि २ स्वाहा । यह मंत्र बोल कर चंदन पुष्प आदि वेदि के चारो तरफ फिकवावें बाद क्रियाकारक कन्या के पिता वगैरह के हाथ में चंदन, पुष्पादि रखवाकर नीचे मुजब तोरण चढ़ाने का मंत्र पढ़ें । तोरण का मंत्र ॐ ह्रीं श्री नमः द्वारश्रिये सर्वपुजिते सर्वमानिते सर्वप्रधाने इह तोरण स्था सर्वसमीहितं देहि २ स्वाहा । यह मंत्र पढकर चंदन, पुष्पादि तोरण पर डालकर उसे बारसाख पर बंधावें । For Private and Personal Use Only इसके बाद चदंरूवा बांध कर उस पर वांसी सुपड़े में सफेद कपड़ा बिछाकर साथिया करे । सुहागिन स्त्रियों से तैयार की हुई बड़िया आदि रखी जाती है और उस वक्त मंडप के मुहुर्त करने वाले को सुपारी वगैरह दी जाती है ।

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