Book Title: Jain Tirth Yatra Darshak
Author(s): Gebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 228
________________ १७४] जैन तीर्थयात्रादर्शक । शहर जिला धारवाड़, तहसील बंकातुर, धुडसीके पास है । रास्ता पक्की सड़क है । यहां १ बड़ा भारी कीमती मंदिर है। मूलनायक प्रतिमा श्री पाश्वनाथकी विराजमान है। यह प्राचीन, मनोहर, अतिशयवान है । और भी जहां-तहां प्रतिमा विराजमान हैं। कुछ घर दि. जैन भाईयोंके हैं । यात्रा करके हुबली लौट आवे । ( स्टेशनके पास दि० जन बोर्डिंग व धर्मशाला है, वहां पर ठहरना चाहिये ।) ___सबका दर्शन करके फिर स्टेशन लौट आवे, यहांसे दो लाइन जाती हैं, उनका अलग२ व्योरा इसप्रकार है। पहिली लाइन पूना तरफ जाती है, यहांसे रेल किराया १॥) देकर बेलगांव जावे। (२८१ ) बेलगांव । ___ स्टेशनसे " बाला " जीका मन्दिर पूछकर जाना चाहिये । उमी मन्दिर के पास मानम्थम्भवाली जैन वस्ती पूछकर यहांपर या "बाला" जीके मन्दिरमें ठहर जाना चाहिये। फिर मानम्थम्भवाली वस्तीमें गढ़के मन्दिर मेंसे लाई हुई प्राचीन प्रतिमा है, और अनेक प्राचीन प्रतिमा हैं | मानस्थंभपर भी प्रतिमा है। एक कुआ व ठहरनेका स्थान है, किसी आदमीको साथ लेकर शहरमें २ मीलके चक्रमें ७ मन्दिर हैं, उनका दर्शन करे। फिर गढ़में जाना चाहिये। गढ़के ४ दरवाजा हैं, एक तरफ बाहर तालाव व चारों तरफ खाई खुदी हैं, और तोपे भी पड़ी हुई हैं, भीतर ३ मन्दिर हैं, जिसमें १ जैन मन्दिर कीमती है। उपरकी गुम्मट व दीवालोंमें प्रतिमा है। पहिले यहांका राजा जैन था, उसीने यह गढ़ व जैन मन्दिर बनवाया था, पीछे मुसलमान राना हुमा, उसने तुड़वा कर पत्थर

Loading...

Page Navigation
1 ... 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273