Book Title: Jain Tirth Yatra Darshak
Author(s): Gebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 267
________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। [२१३ नागदा, मथुरा ! १ उदयपुर आदि। आगे भीलोड़ा, नसीराबाद होकर अजमेर जाती है। इसका हाल लिखा गया है वहांसे जानना । (३६४) हरद्वार-हिन्द तीर्थ । देहलीसे १॥) देकर सहारनपुर जावे। सहारनपुरसे टिकटका ॥2) देकर लकसर जावे | लकसरसे गाड़ो बदलकर हरहार जावे। टिकट ।-) लगता है । दूसरा रास्ता--कानपुरसे HI) टिकटका देकर लखनऊ जावे । या काशीसे टिकटका ३॥) देकर लग्वनऊ जावे । फिर लखनऊसे सहारनपुर लाईनमें टिकटका ५॥) देकर लकसरका लेवे। यहां गाड़ी बदलकर हरद्वार शहर स्टेशनसे १ मील दूर है। -) मवारीमें तांगावाला लेनाता है। अन्य मतवालों को धर्मशाला बहुत हैं । यह हिन्दुओं हा अच्छा तीर्थ है । शहर बदिया है। माल सब मिलता है । देहली, लाहौर, सहारनपुर की तरफसे यात्री बराबर आने जाते रहते हैं। हर समय मेलासा भग रहता है। रेलमें भी बड़ो भीड़ रहती है। स्टेशनपर जगह नहीं मिलती है। आगेका स्टेशन हृषीकेश है । टिकट -) है। (३४५) हषीकेश। यह भी हिन्दुओं का भारी तीर्थ है। यहांसे मागे देहरादून जाकर मिल जावे । या वापिस हरिद्वार आजावे । हरिद्वारसे आगे सत्यनारायण तीर्थ है । (३६६) सत्यनारायण । यह भी हिन्दुओं का तीर्थ है । यहांसे फिर आगे पांव रास्ता है। कुल १८. मीक पहाड़के भीतर होकर बद्रीनाथ जाते हैं।

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