Book Title: Jain Tirth Yatra Darshak
Author(s): Gebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 268
________________ २१४ ] जैन तीर्थयात्रादर्शक | पहाड़ी रास्ता हर तरहका है। बीचमें बहुत धर्मशाला, ग्राम सदावर्त हैं। बीचमे ३ जगह त्रिवेणी नदियां पड़ती हैं । उसको भी प्रयाग बोलते हैं। फिर कुछ दूर पहाड़में सीकर हीडोल चढ़कर जाना चाहिये। ( १६७ ) बद्रीनाथ । पहाड़के बीच में बड़ा ग्राम है । पंडा लोग रहते हैं । १ मंदिर है । द्वारकाधीशकी मूर्ति है । और भी हिन्दु मूर्तियां बहुत हैं। यहांपर भी छाप लगाते हैं। पंडा बहुत रहते हैं। विशेष हा खुद मालूम करो । लौटकर अपनी इच्छानुसार जहां चाहे जासकते I है। रास्ता हर जगह पूछते रहना चाहिये । समाप्त |

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