Book Title: Jain Tirth Yatra Darshak
Author(s): Gebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 259
________________ - जैन तीर्थयात्रादर्शक । [२०५ करना चाहिये। फिर बड़वाहासे मऊकी छावनी जाना चाहिये । (३२४) मऊकी छावनी। स्टेशनसे १ मील शहरमें दि. जैन धर्मशाला है। वहांपर ठहरना चाहिये । तांगावाला ) सवारी लेता है। फिर धर्मशालाके सामने ही ३ मंदिर हैं । बहुत कीमतो, रगदार हैं। प्रतिमा मनोज्ञ हैं, १ चैत्यालय थोड़ी दूर बंबई बाजार में हैं, यहांपर पं० फतेहलालजी वैद्यगन रहने हैं | आप बड़े मजन और प्रेमी पुरुप हैं, आनन्दमे दर्शन करें। फिर यहांसे १) सवारी देकर मोटरसे धार शहर जाना चाहिये । मउ.में इन्दौरके राना व अंग्रेनी दोनों राज्य हैं । दोनोंकी यहांपर फौन-पलटन रहती हैं। यहांपर ६० घर ननियोंके हैं। धार यहांसे २५ मील पश्रिमकी तरफ पड़ता है। (३५८ ) धार शहर । इमका हाल वचनागोचर है । जन अननों का यह पुराण तथा त्रिलोकप्रसिद्ध तीर्थ है । उज्जैनी घारमें कुछ कालतक राज्य रहता था। इसका नाम जयंतीनगर भी बोलने हैं। बड़े२ कोटीवन सेट व जौहरी रहते थे। हीरा आदि नवाहरातका काम यहांपर होता था। न्यायपरायण भोन, मुंन, शक्रादि राना यहांपर हो गये । बड़े२ पंडित माशाघर, मेधावी, मानतुग मादि यहीपर हुए थे। ___ यहांके राज्यमें बड़े२ आचार्योंने ग्रन्थ बनाये थे। आदि. नाथस्वामीको छोड़कर शेष तेवीस तीर्थकरों के यहांपर समवशरण माये थे । हालमें भी राना सा का राज्य है । स्थान बड़ा रमणीक है। बाग, बगीचा, वालान, कुण्ड, बाजार भाविसे युक्त है। १

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