Book Title: Jain Tirth Yatra Darshak
Author(s): Gebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 253
________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। [१९९ ग्राम छोटा है। २० घर जैनियोंके हैं। यहांसे २ मील उत्तरकी तरफ श्री उखलद क्षेत्र जाना चाहिये। (३३९) उखलद अतिशयक्षेत्र । पूर्णा नदीके किनारे एक पहाड़पर छोटासा ग्राम है। यहां पर १ दि० जैन मंदिर है। भीतर तप तेजवान, चतुर्थकालकी जमीनसे निकली हुई अंतरीक्ष श्री पार्श्वनाथकी प्रतिमा है। यहांपर धर्मशाला है। मेला भरता है । बहुत यात्री जाते-आते हैं । यात्रा करके मारग्वेट आजाना चाहिये । टिकट |-) देकर पूर्णाका ले लेना चाहिये। (३४०) पूर्णा जंकशन । उखलदवाली पूर्णा नदी यहांपर वहती है। शहर अच्छा है। जैनियोंके घर बहुत हैं। यहां भी नदीका घाट मंदिरादि बहुत हैं। प्राचीन गद, बाजार देखनेयोग्य है। हजारों यात्री यहांपर माने जाते हैं । सब माल मिलता है। (३४१) हींगोलशहर । यहांसे १ रेलवे हींगोल जाती है। हींगोल अच्छा शहर है। ६० घर दि. जैनियोंके, २ मंदिर और ३ चैत्यालय हैं। प्राचीन प्रतिमा है । यहांसे मोटर, तांगा द्वारा ३॥) देकर बासम जाना चाहिये । (३४२) बासम शहर । यह शहर अच्छा एवं व्यापारप्रधान है । जैनियोंकि २५ घर और २ मंदिर हैं। एक मंदिरमें भौंहरा है। उसमें बहुतसी प्राचीन प्रतिमा हैं। यहांपर बालगनीका मंदिर और कुंड देखनेयोग्य

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