Book Title: Jain Tattva Saragranth Satik
Author(s): Surchandra Gani, Manvijay Gani
Publisher: Vardhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
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विषयानुक्रम
mmmmme विषय
पत्र पृष्ठ
विषय जीवकर्मस्वभावोक्तिलेश: प्रथमोऽधिकारः श्लोक ९
अमूर्तस्याप्यात्मनो मूर्तकर्मग्रहणतत्पिण्डादर्शननिरूपणो. मङ्गलं वस्तुनिर्देशव ... ... ... . '
क्तिलेशः तृतीयोऽधिकारः श्लोक ३३ कर्मात्मनोर्लक्षणम् ... ... ... ... १
जीव इन्द्रियहस्तादिकं विनाऽपि कर्मप्रहणं करोति ... ९ १ जीवानामानन्त्यम्, तभेदाश्च पृथिव्यादयः ... ... २
जीवसंलग्नकर्मणामदृष्टत्वं ... ... ... १६ २ जीवेभ्यः कर्मानन्त्यं ... ... .
मूर्तामूर्तयोः कर्मात्मनोराधाराधेयभावसम्बन्धोक्तिशः कर्माणि समप्रलोकाकाशश्रितानि, अतो जीवाः कर्मभिरावृत्ताः
चतुर्थोऽधिकारः श्लोक १० जीवकर्मणोरनादिसम्बन्धः ... ... ... जीवानां कर्मभ्यो मुक्तिः
जीवकर्मणोराधाराधेयसम्बन्धम् ... ... ...
... १८ ... जीवस्य शुभाशुभकर्मग्रहणोक्तिलेशो
सिद्धात्मनः कर्मनादानोक्तिलेशः द्वितीयोऽधिकारः श्लोक ११
पञ्चमोऽधिकारः श्लोक १७ जीवानां शुभाशुभकर्म ग्रहणं ... ... ... ५ . सिखानाम् कर्माप्रहणं ... ... ... ... १ २ शानं विनापि जोवानां कर्मग्रहणं सम्भवति ... ... . २ विनेन्द्रियैरपि सिद्धानामनन्तसौख्यम् ... ... २४
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