Book Title: Jain Tattva Saragranth Satik
Author(s): Surchandra Gani, Manvijay Gani
Publisher: Vardhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
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विषय
पत्र पृष्ठ नास्तिकल्याजीवरूपस्थापनासेवाफलप्रतिपादनोक्तिलेशः
सप्तदशोऽधिकारः श्लोक ४१ | परमेश्वरप्रतिमापूजनेन पुण्यसम्भवः ... ... ११५ १ | निरागिनिःस्पृहिसेवया परमार्थसिद्धिः ... ... १२१ १ | प्रतिमा अजीवाऽपि तया पुण्यसिद्धिः ... ... १२१ २ आप्तनियुक्तवस्तुनः विशेषमान्यता
... १२२ १ | ईश्वरो निराकारोऽस्ति तथापि कथं तत्प्रतिमा भवेत् ... १२४ २ नास्तिकस्यानाकरस्यापि भगवतः स्थापनोक्तिलेशो
___ऽष्टादशोऽधिकारः श्लोक १९ निराकारस्यापि पूजनं स्थापना तदर्चनया लाभः ... १२५ १ नास्तिकस्य द्रव्यभावधर्मफलसम्प्रापणोक्तिलेश
एकोनविंशोऽधिकारः श्लोक २९ | प्रतिमापूजन फलं प्रायः शीघ्रमत्र भवे न प्राप्नोतीत्यस्य
विषय कारणानि. ... ...
... ... ... १३१ परमेश्वरनामस्मरणस्याऽपि आवश्यकता ... ... १३६
आस्तिकनास्तिकानां येषामपि परम्परया मनोनिविषयता पादनेन च मुक्तिप्रापणकारणोक्तिलेशो
विंशोऽधिकारः श्लोक ३९ आत्मज्ञानेनैव केवलराजयोगेन वा मुक्तिर्भवति एतद्विषये वैष्णवादिसर्वजनकथनस्यैकवाक्यता घटना ... ... ... १३९ १ मुक्तः सर्वदर्शनानुसारिमार्गः ... ... ... १४५ २ सिद्धौ निष्क्रियता ... ... ... ... १४९ ग्रन्थप्रन्थोत्पन्नपुण्यजनतासमर्पणस्वीयगच्छगच्छनायकसम्प्रदायगुरुनामस्वकीयगुरुभ्रात्रादिनामकीर्तनोक्तिलेश
एकविंशतितमोऽधिकारः श्लोक २३ मनोनिरोधस्य योगमार्गे रमणकरणस्य चोपदेशम् ... १५१ १
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