Book Title: Jain Swadhyaya Mala
Author(s): Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh Sailana MP
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 7
________________ शुद्धि पत्र पंक्ति DU mr m mr mr mro mr mr १२ २१ mr 0 अशुद्ध न इक्कमे विसोहिया अससओ सविदिय घट्टिताणि य हिंगुलुए भत्त-सेस सजाण पडिच्छिन्नम्मि सम्ममालोय कारण-समुपण्णे चिट्ठत्ताण m शुद्ध नाइक्कमे विसुत्तिया य ससमो सन्विदिय घट्टियाणिय हिंगुलए भुत्तसेसं सजयाण पडिच्छन्नम्मि सम्ममालोइयं कारणमुपण्णे चिट्ठित्ताण विवण्ण m 9 mr m विवि सपन-- सपन्ने ४८ सति मे सतिमे ur arm Mr & AMMA आदी "."." .. ओसदी। उउपसने....उउप्पसणे तु पयपुर ति वेइलोयाई... लोइयाइ २० ५५ CC SYN मन्बुकसघ आसाहु ७ आयारपण्हिी णाम अट्ठम सुव्व अरह सव्वुक्कसं असाहु सुवक्कसुद्धी णाम सत्तम सव्वं अरइ

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