Book Title: Jain Swadhyaya Mala
Author(s): Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh Sailana MP
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 8
________________ पक्ति अशुद्ध १ खिप्पमप्पाण वीय, खिप्पमप्पाण, वीय १४ ण त सपव डिज्जड सपडिवज्जइ हियाणुसायण हियाणुसामण अणोहाणुप्पेहिणा ओहाणुप्पे हिणा G6 वहु . दाढुद्धियं दाढुड्ढिय २१ इवेव ___ इहेव ७४ ७४ २१ ७५ ७५ १२ ७७ ७७ ७॥ चेवडा १६ १६ २२ उवितिवाया उवतवाया अप्पावही अप्पोवही सवच्छर सवच्छर संपिक्स सपेहए रहम्म रहम्से उरूणा उरुणा चवेडा निच्चे निच्च भुज्जई भुजइ उवज्जइ उववज्जई भवय भयव इणमवी इणमब्बवी नमि रायरिससि णमी रायरिसी पढवि पुढवी आणगारस्स अणगारस्स विउववी विउव्वी तहोमुयारो तहेसुचारो आसासय असासय तणुव तणय २ १ ११६ ११७ ११६ (६

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