Book Title: Jain Swadhyaya Mala
Author(s): Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh Sailana MP
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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सुख विपाक सूत्र
णामं णयरे होत्या । रिद्धिस्थिमियसमिद्धे । तत्थण हत्थिसीसस्स गयरस्स बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसिभाए एत्थण पुप्फकरडए णामं उज्जाणे होत्था। सव्वोउयपुप्फफलसमिद्धे, रम्मे, णदणवणप्पगासे पासाईए दरिणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । तत्थ ण कयवणमालपियस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था दिवे ।
तत्थ णं हत्थिसीसे णयरे अदीणसत्तू णामं राया होत्था । महया हिमवते, रायवण्णो । तस्स ण अदोणसत्तुस्स रणो धारिणीपामोक्ख देवीसहम्स ओरोहे यावि होत्था । तए णं सा धारिणी देवी अण्णया कयाइं तसि तारिसगसि वासभवणसि सीह सुमिणे जहा मेहजम्मण तहा भाणियन्व । णवर सुबाहुकुमारे जाव अलं भोगसमत्थे यावि जाणति, जाणित्ता अम्मापियरो पंच पासायडिसगसयाइ करेति अभुग्गयमसियपहसिय विव भवण । एवं जहा महब्बलस्स रण्णो । णवरं पुप्फचूला पामोक्खाण पचण्ह रायवरकण्णासयाण एगदिवसेणं पाणि गिण्हावेइ तहेव पचसयाइ दामो जाव उप्पि पासायवरगए फुट्टमाणमत्थेहि जाव विहरइ। तेण कालेण तेण समएण समणे भगव महावीरे समोसढे । परिसा णिग्गया । अदीणसत्तू जहा कोणिए णिग्गए । सुबाहुकुमारे वि जहा जमाली तहा रहेण णिग्गए । जाव धम्मो कहिओ, राया परिसा य पडिगया ।
तए णं से सुबाहुकुमारे समणस भगवो महावीरस्म अतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हतुठे ५ उदाए उठेइ जाव एव वयासीसद्दहामि णं भंते ! णिग्गयं पावयण जाव जहा ण देवाणु प्पियाण

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