Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 01 Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal View full book textPage 7
________________ पृष्ठ ५५ पंक्ति १७ ५६ १७ कृपया शुद्धि ठोक करके पढ़े अशुद्ध शुद्ध मोर कसा करने से श्रावकपना प्राता है। द्रव्यो द्रव्य ४८ सम्पूरण सम्पूर्ण समननाति समानजातीय मिलने मिटाने नर्तमान वर्तमान ४६ २२ or m ११२ <ww ० ० ० ॥ Ww.GOM १६ - ~ ~ द्रव्यत्व ? रहती - कारण । द्यदमस्थ ज्ञन निजनन्द द्रव्यत्वगुण इसका कारण ? छ दमस्थ ज्ञान निजानन्द ~ १३२ १४३ १४४ US स १५२ १५५ १७१ १७१ १७१ १२ पपमागु प्रईसकीम सम्य सभ्यज्ञान कार्मरण प्रादरिक समन परमाणु प्राईसक्रीम सम्यक सम्यग्ज्ञान प्रौदारिक औदारिक समान १४Page Navigation
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