Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 01 Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal View full book textPage 2
________________ पाँच बोल नौ पदार्थ संयोग संयोगी भाव स्वभाव. त्रिकाली स्वभाव के साधन सिद्धत्व प्रजीव प्रास्रव बंध पुण्य-पाप जीब सम्वर निर्जरा मोक्ष चार काल अनादि अनन्त अनादि सांत 5 सम्यग्दर्शनादि प्राप्त पाँच भाव X प्रनादिप्रनन्त पारिणामिक भाव मुखदायक दुःखदायक प्रदयिक दुःखदायक भाव X सादिसांत पशमिक परम सुखदायक एकदेश धर्म का सुखदायक क्षायोपशमिक क्षायिक भाव सादिश्रनन्त पूर्ण क्षायिक पूर्ण देश भाव सुखदायक देवगुरु धर्म X X धर्म गुरू देवPage Navigation
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