Book Title: Jain_Satyaprakash 1955 01
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir અંક ૪] એક અમેરિકન વિદ્વાનકી ઓજ [૨૯ ___ यदि पृथ्वीको गोल माने और उसकी परिधि २४,००० मील माने तो २४ घंटेके हिसाबसे उसे अपनी धूरी पर एक घंटेमें १००० मील घूम जाना चाहिये, किंतु यह तीव्र गति इतनी प्रबल है कि धरातलकी प्रत्येक वस्तु चिथड़े होकर छितरा जायगी। ___यदि यह कहा जाय कि पृथ्वीकी आकर्षण शक्ति ऐसा नहीं करने देती तो न्यूयार्कसे शिकागो तक (लगभग १००० मील) कोई भी मनुष्य बैलूनमें घण्टेभर भी यात्रा कर सकता है। इसी प्रकार दो-तीन घंटेमें शिकागोसे सान्मासिस्को तक यात्रा कर सकता है, जो नितांत असम्भव है। ___पृथ्वी घूमती हो तो पृथ्वीमेंसे अमुक स्थानसे सीधी ऊर्ध्व एक मील एक बंदूक द्वारा गोली छोड़ी। गोली एक मिनट बाद नीचे पडे, तो पृथ्वीको गति ८ मील चली गई माना है; तो गोली उसी स्थान पर क्यों गिरती है ? ___अब उदाहरणार्थ "ऐरिक' नामक नहरको ही लीजिये। यह नहर लौकपोष्टसे रोचेटर तक ६० मील लम्बी है । " पृथ्वी गोल है" इस सिद्धांतके अनुसार इस नहरके उभारकी गोलाई, ६१० फुट होनी चाहिये । सिरोंकी अपेक्षा मध्यका उठाव २५६ फुट होना चाहिये; किन्तु स्टेट इंजीनियरकी रिपोर्ट अनुकूल या अनुसार यह ऊँचाई ३ फुटसे भी कम है। स्वेजकी नहर लीजिये दोनों ओर समुद्र है, लेवल समान क्यों ? यदि पृथ्वी गोल है तो उसकी स्वाभाविक गोलाईमें किनारोंकी अपेक्षा बीचका भाग १६६६ फुट ऊँचा होना चाहिये । इसे दृष्टिमें रख कर यदि 'लालसागर 'से भूमध्यसागरकी तुलना करें तो भूमध्यसागर लालसागरसे केवल ६ इंच ऊँचा होगा। पाठशालाओंमें पृथ्वीके गोल होनेका सबसे लोकप्रिय उदाहरण समुद्रमें दूर जाते हुए जहाजसे दिया जाता है। इस उदाहरणमें जहाजके क्षितिजके पार छिपते जानेसे और केवल मस्तूलके ऊपरका भाग दिखाई देनेसे पृीकी गोलाई प्रमाणित की जाती है, किन्तु यह सचमुच दृष्टिभ्रम है। अपनी आंखें गोल होनेसे दूरकी वस्तु कुछ विपरीत ही दिखती हैं।। दृष्टिभ्रमके कई उदाहरण है जिसे 'पर्सपेक्टिव' कहते हैं। रेलको पटरियां आगे आगे मिली हुई देखकर क्या कोई अनुमान कर सकता है कि वे क्षितिजके पार जाकर मुड़ गई हैं। वास्तवमें वह बिन्दु जो दोनों पटरियोंको जोड़ता है, इतना सूक्ष्म होता है कि हमारी साधारण दृष्टि उसके पार नहीं पहुँच सकती। इस कारण यदि शक्तिशाली दूरवीक्षण यंत्रसे देखा जाय तो निश्चय ही पूरा जहाज दिखाई देगा। क्या पानीकी सतह गोल होने पर ऐसा दृष्टिगत होता ? यदि पृथ्वी गोल होती तो भूमध्यरेखाके नीचेके भागोंमें ध्रुवतारा कदापि दिखाई न देता परंतु दक्षिणमें ३० अक्षांश तक ध्रुवतारा सरलतापूर्वक देखा गया है । यदि पृथ्वी गोल होती तो आर्कटिक और एटलांटिक For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28