Book Title: Jain Satyaprakash 1940 11
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra [112] www.kobatirth.org શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ 'ऊंचे देऊळ' कथा विषयक पत्रव्यवहार Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 'footter' नामक एक मराठी भाषा के मासिकमें 'ऊंचे देऊळ' नामक एक कथा छपी है । उस कथा कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य के उपर दुष्ट आक्षेप किये गये हैं । अतः हमने उस पत्रके सम्पादक व उस कथा के लेखकके साथ जो पत्रव्यवहार किया है वह यहां प्रकाशित करते हैं । पत्रव्यवहार अभी जारी होनेसे हमें इस सम्बन्धमें जो कुछ लिखना है वह इस समय न लिखकर भविष्य में लिखेंगे। -व्यवस्थापक. 66 [ वर्ष श्री द. पां. खांबेटे ( कथा लेखक ) को लिखा हुवा पत्र अमदावाद, १९--१०-४० श्रीयुत द. पां. खांबेटे महाशय, 'faefeat' मासिकके गत जुलाई मासके अंक में आपने लिखी 'ऊंचे देऊळ' शीर्षक एक कथा प्रगट हुई है। यह कथा काल्पनिक नहीं किन्तु ऐतिहासिक हानेका आपने लिखा है और कथाके अन्तमें Bombay Gazeteer vol. 1 part 1 History of Gujarat का नाम आपने आधारप्रभ्थे के लिए लिखा है । हमें यह लिखते सख्त अफसोस होता है कि यह कथा सर्वथा कल्पित असत्य और जिसको आप साक्षी देते हैं वैसे ऐतिहासिक आधारोंले शून्य है । Bompay Gazetteer के जिस उल्लेखके आधारसे आप अपनी कहानी 'ऊंचे देऊळ' को प्रमाणित करना चाहते हैं वह उल्लेख यह है Among the stories told of the King's zeal for life-saving is one of a Bania of Sambara who having been caught killing a louse was brought in chains to Auhilwad, and had his property coufiscated and devoted to the building at Anhilwad of a Louse Temple or Yukavihar," ܕܕ 6 इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि महाराजा कुमालपालने जूं मारने के अपराध में गिरफ्तार किए गए सांबर निवासी एक बनिये की संपत्ति जप्त करा ली और उस संपत्ति में से एक मंदिर बंधवाया जो 'यूकाविहार' के नाम से प्रसिद्ध हुआ For Private And Personal Use Only अब आपने जो कथा लिखी है उसका सार यह है कि "सांबर निवासी धनपाल नामके एक पुरुषको, राजपुरुषोंने ज्र मारने के अपराध में गिरफ्तार कर अदालत में उपस्थित किया । उस समय अदालत में

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