Book Title: Jain Mudra Yog Ki Vaigyanik Evam Adhunik Samiksha Author(s): Saumyagunashreeji Publisher: Prachya Vidyapith View full book textPage 6
________________ जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा कृपा वर्धक : पूज्य आचार्य श्री मज्जिन कैलाशसागर सूरीश्वरजी म.सा. मंगल वर्धक : पूज्य उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. आनन्द वर्धक : आगमज्योति प्रवर्तिनी महोदया पूज्या सज्जन श्रीजी म.सा.. प्रेरणा वर्धक : पूज्य गुरुवर्या शशिप्रभा श्रीजी म.सा. | वात्सल्य वर्धक : गुर्वाज्ञा निमग्ना पूज्य प्रियदर्शना श्रीजी म.सा. स्नेह वर्धक : पूज्य दिव्यदर्शना श्रीजी म.सा., पूज्य तत्वदर्शना श्रीजी म.सा. पूज्य सम्यक्दर्शना श्रीजी म.सा., पूज्य शुभदर्शना श्रीजी म.सा. पूज्य मुदितप्रज्ञाश्रीजी म.सा., पूज्य शीलगुणाश्रीजी म.सा., म.सा., सुयोग्या कनकप्रभाजी, सुयोग्या श्रुतदर्शनाजी सुयोग्या संयमप्रज्ञाजी आदि भगिनी मण्डल शोधकर्ती : साध्वी सौम्यगुणाश्री (विधिप्रभा) ज्ञान वृष्टि : डॉ. सागरमल जैन प्रकाशक : प्राच्य विद्यापीठ, दुपाडा रोड, शाजापुर-465001 ____email : sagarmal.jain@gmail.com • सज्जनमणि ग्रन्थमाला प्रकाशन बाब माधवलाल धर्मशाला, तलेटी रोड, पालीताणा-364270 प्रथम संस्करण : सन् 2014 प्रतियाँ : 1000 सहयोग राशि : ₹ 100.00 (पुन: प्रकाशनार्थ) कम्पोज : विमल चन्द्र मिश्र, वाराणसी कॅवर सेटिंग : शम्भू भट्टाचार्य, कोलकाता मुद्रक : Antartica Press, Kolkata ISBN : 978-81-910801-6-2 (XVII) © All rights reserved by Sajjan Mani Granthmala.Page Navigation
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