Book Title: Jain Meghdutam ka Samikshatmaka Adhyayan
Author(s): Sima Dwivedi
Publisher: Ilahabad University

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Page 4
________________ ऋग्वेद व वाल्मीकि रामायण, महाभारत श्रीमद्भगवत, बौग० जातक कथाएँ दूतकाव्यो को दो भागो मे विभाजित कर उनकी गवेषणात्मक समीक्षा की गई है। दूत काव्यों का वर्गीकरण जैन जैनेतर काव्यो की दृष्टि से किया गया है। दूसरे अध्याय में आचार्य मेरुतुङ्ग के व्यक्तित्व एवं कृतित्वपर विचार किया गया है। इसमे आचार्य मेरुतुङ्ग के स्थिति काल जीवन परिचय, उनके जीवन से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण घटनाओं व रचनाओं की चर्चा की गई है। तृतीय अध्याय का शीर्षक है कथावस्तु और चरित्राङ्कन। इस अध्याय के अन्तर्गत काव्य की कथावस्तु तथा कवि की चरित्राङ्कन शैली का समीक्षात्मक अनुशीलन प्रस्तुत किया गया है । चतुर्थ अध्याय का विषय है जैनमेघदूतम् की रस योजना। इस अध्याय में साहित्य-शास्त्र के विभिन्न विद्वानों के अनुसार रसतत्त्व निरूपण किया गया है। विभिन्न रसो के स्वरूप का भी विश्लेषण करने की चेष्टा की गई है। जैनमेघदूतम् में उपलब्ध विभिन्न रसों के चित्रण की विशेषताओं तथा काव्य के अङ्गी व अङ्गभूत रसों की समालोचना इस अध्याय का विचारणीय विषय है। - काव्य शिल्प नामक पञ्चम अध्याय में काव्य की भाषा शैली गुण रीति, अलङ्कार, छन्द आदि तत्त्वों व उनके प्रयोग की दृष्टि से मेरूतुङ्गाचार्य की कविता का समीक्षात्मक आकलन प्रस्तुत किया गया है। छठे अध्याय 'काव्य सौन्दर्य' के अन्तर्गत मेरूतङ्गाचार्य के प्रकृति चित्रण, विम्बि विधान, तथा काव्य के सौन्दर्य में श्रीवृद्धि करने वाले भावपक्ष व कलापक्ष की विशिष्टताओं पर विचार किया गया है। सातवाँ अध्यायहै जीवन दृष्टि और जीवन मूल्य इसमें कवि की जीवन दृष्टि को समझाने की चेष्टा की गई है। कवि ने जैन धर्म के सिद्धान्तों को


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