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विद्वद्वर्य मुनिवर श्री मनोहरसागरजी महाराजश्रीए प्रेस कोपी सुधारवामां पोताना समयनो सुन्दर फाळो आप्यो छ श्री स्वाध्यायसागर' प्रकाशनना संपादकः विद्वद्वर्य प्रशान्तसंयममूर्ति मुनिवर श्रीत्रैलोक्यसागरजी महाराजश्रीना सौजन्यथी समवसरण देशनानो त्रिरंगी ब्लोक मळेल छे.
श्री उपमितिभवप्रपंचा कथासारोद्वार ग्रन्थना गुजराती अवतरण कार मुनिवर श्री क्षमासागरजी महाराजे प्रेसकोपीना संशोधन कार्यथी प्रारंभी मुद्रण संबंधी अने शुद्धिकरण संबंधी कार्यमां सरस योग अमने आप्यो छे. वळी आ ग्रन्थरत्नना महत्वने समजावती अने वाचनविधिने बतावती आदर्श प्रस्तावना लखी आपी छे. ___ परम तपस्विनी वयोवृद्धा प्रवर्तिनी साध्वीजी महाराज श्री मनोहरश्रीजी महाराजे पोताना मृदु सदुपदेशथी आ ग्रंथरत्नना प्रकाशनमां प्रारंभिक आर्थिक सहयोग अपाव्यो छे, तेमज श्री विजापुर जैन संघ, अध्यात्मज्ञान प्रसारक मंडळ मुंबई, साणंद सागरगच्छ कमिटिनी पेढी, प्रांतिज जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ अने अन्य सहायक आदिए पण आर्थिक दान द्वारा श्रुतज्ञान भक्तिनो अपूर्व लाभ लीधो छे.
अमारा कार्यमां भक्ति अनुसार सहयोग आपवा बदल सौनो आभार मानीए छीए अने एमना कार्यनी अनुमोदना करीए छीए.
दिव्य ज्योतिर्धर महापुरुषना आ ग्रन्थरत्नना प्रकाशनमां जे अमारी क्षतिओ जणाय तेनी अमोने जाण करशो तो पुनर्मुद्रणना प्रसंगे क्षतिशोधन करी लईशुं, एज शुभेच्छा.
प्रकाशक.
Milltu
ORE 4धार
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