Book Title: Jain Kumar Sambhava Mahakavyam
Author(s): Dharmshekharsuri, Jayshekharsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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प्रस्तावना
ग्रन्थकारनो परिचयः -आ काव्यना कर्ता आंचलगच्छीय श्री महेन्द्रप्रभसूरिना शिष्य आचार्य श्री जयशेखरसूरिजी छे. जो के, ग्रन्थकारे अन्थना अन्तमा पोताना नाम निर्देश सिवाय विशेष कशो परिचय आप्यो नथी तेम छतां, तेओश्रीना अन्यान्य संस्कृत अन्थोमां तेओए पोतानी विधिपक्ष (आंचलगच्छ ) नी परंपरा आ मुजब सूचित करी छे ।
१ आर्यरक्षितसूरि ६ अजितसिंहसूरि (आंचलगच्छ स्थापक)
२ जयसिंहसूरि
७ देवेन्द्रसिंहसूरि
३ धर्मघोषसूरि
८ धर्मप्रभसूरि
४ महेन्द्रसिंहमूरि
९ सिंहतिलकसूरि
५ सिंहप्रभसूरि
१० महेन्द्रप्रभसूरि
१ मुनिशेखरसूरि २ जयशेखरसूरि ३ मेरुतुंगसूरि
. १ श्री महेन्द्रप्रभसूरिनो जन्म वि. सं. १३६३ मां वडगाममा, दीक्षा वि. सं. १३७५ मां विजापुरमां, आचार्यपद वि. सं. १३९३ मां अहिलपुरपाटणमां, गच्छनायकपद वि. सं. १३९८ मां खंभातमा, अने खर्गवास वि.सं. १४४४ मां थयो हतो.
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